नई दिल्ली। महामारी के चलते कोविड राहत उपायों पर अधिक खर्च करने की जरूरत को देखते हुए राज्यों ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के लिए बड़े पैमाने पर कर्ज लेने की योजना बनाई है। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान कुल मिलाकर बाजारों से 1,92,091 करोड़ रुपये उधार लिए जाने की उम्मीद है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) के परामर्श से तिमाही के लिए उधार कैलेंडर तैयार किया है, जहां साप्ताहिक आधार पर धन जुटाने के लिए बांड जारी किए जाएंगे।
राज्यों के उधार कैलेंडर के अनुसार, तिमाही के दौरान उच्च जनसंख्या वाले देश के दो सबसे बड़े राज्यों उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र की क्रमश: 25,000 करोड़ रुपये और 22,500 करोड़ रुपये की अधिकतम उधारी होगी। बिहार भी तिमाही के दौरान 12,000 करोड़ रुपये से अधिक का उधार लेगा, जबकि पश्चिम बंगाल लगभग 18,000 करोड़ रुपये उधार लेगा। छह जुलाई से शुरू हुआ उधारी कार्यक्रम 28 सितंबर तक चलेगा।
आरबीआई ने एक बयान में कहा कि उधार की वास्तविक राशि और भाग लेने वाले राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों का विवरण वास्तविक नीलामी के दिन से दो/तीन दिन पहले प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से सूचित किया जाएगा और यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 293 (3) और बाजार की स्थितियों के तहत राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों की आवश्यकता पर निर्भर करेगा। आरबीआई बाजार की स्थितियों और अन्य प्रासंगिक कारकों को ध्यान में रखते हुए, गैर-विघटनकारी तरीके से नीलामियों का संचालन करने का प्रयास करेगा और पूरे तिमाही में समान रूप से उधार को वितरित करेगा। बयान में कहा गया है कि आरबीआई के पास राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों के परामर्श से तारीखों और नीलामी की राशि को संशोधित करने का अधिकार सुरक्षित है।
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