नई दिल्ली। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि राज्य इस स्थिति में हैं कि वे पेट्रोल पर शुल्क घटा सकते हैं और उन्हें ऐसा करना चाहिए, जबकि केंद्र को ईंधन की बढ़ीं कीमतों के असर से निपटने के लिए राजकोषीय उपाय करने चाहिए। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के चलते सरकारी तेल कंपनियों ने लगातार 11वें दिन घरेलू दरों में वृद्धि की। दिल्ली में पेट्रोल 77.47 रुपए प्रति लीटर और डीजल 68.53 रुपए प्रति लीटर पहुंच गया है।
कुमार ने दिए साक्षात्कार में कहा कि राज्यों और केंद्र दोनों के पास शुल्क कम करने का अधिकार है। राज्य ईंधन पर मूल्यानुसार कर लगाते हैं इसलिए उनके पास अधिक गुंजाइश है, केंद्र की तुलना में राज्य बेहतर ढंग से कटौती कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि राज्य सरकारें कर में 10 से 15 प्रतिशत की कटौती करने पर राजी हों और उतना ही राजस्व जुटाएं जितना उनके बजट में प्रस्तावित किया गया है। ऐसा नहीं करने का मतलब है कि वे राज्य न केवल जनता बल्कि अर्थव्यवस्था की कीमत पर अपना लालच पूरा करना चाहते हैं। ।
कुमार ने कहा कि राज्यों में पेट्रोल पर औसतन 27 प्रतिशत शुल्क लगता है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने केंद्र सरकार के संबंध में कहा कि उन्हें तेल की बढ़ती कीमतों की समस्या से निपटने के लिए और राजकोषीय उपाय करने की जरूरत है। केंद्र गैर-कर राजस्व के मोर्च पर अधिक राजकोषीय उपाय कर सकता है।
उन्होंने कहा कि केंद्र को पेट्रोल पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क को घटाने पर विचार करना चाहिए। इसके लिए बुनियादी संरचना उपकर के साथ छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि इनका उपयोग सीधे विकास गतिविधियों के लिए किया जाता है। कुमार का मानना है कि न सिर्फ पेट्रोल को बल्कि बिजली को भी माल एवं सेवा कर के दायरे में लाया जाना चाहिए।