नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा रेपो रेट में कटौती करने के बाद देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने अपने ग्राहकों को तोहफा दिया है। एसबीआई ने सभी अवधि के कर्ज पर ब्याज दर 0.15 प्रतिशत घटायी है। एसबीआई ने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट (MCLR) में 0.15 फीसदी की कटौती की है। MCLR की नई दरें 10 अगस्त यानी शनिवार से लागू होंगी।
एक साल की सीमांत लागत आधारित ब्याज दर (एमसीएलएलआर) 8.25 प्रतिशत हुई। एसबीआई ने कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 में एमसीएलआर में यह लगातार चौथी कटौती है। SBI की 1 साल की नई MCLR 8.40 फीसदी से घटकर 8.25 फीसदी होगी। बैंक का लोन अप्रैल से अब तक 0.35 फीसदी सस्ता हो गया है।
रिजर्व बैंक ने लगातार चौथी बार रेपो रेट में की कटौती
भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 0.35 फीसदी की कटौती की है। RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट 0.35 फीसदी घटाकर 5.40 फीसदी कर दिया है। यह रेपो रेट 9 साल के निचले स्तर पर है। इसी के साथ RBI ने लगातार चौथी बार रेपो रेट में कमी की है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के 6 सदस्यों में से 4 सदस्य 0.35 फीसदी कटौती के पक्ष में थे, वहीं 2 सदस्य 0.25 फीसदी की कटौती चाहते थे।
बता दें, 1 जुलाई 2019 से SBI ने होम लोन को सीधा रेपो रेट से जोड़ दिया है। मतलब, रेपो रेट कम होते ही होम लोन पर इंटरेस्ट रेट घट जाएगा। स्टेट बैंक ने मार्च में घोषणा की थी कि 1 मई से बचत खाता जमा और अल्पावधि कर्ज की दरों को रिजर्व बैंक की रेपो दर से जोड़ा जाएगा। इससे पहले जुलाई में SBI ने MCLR में 5 प्वाइंट्स की कटौती की थी। इस कटौती के बाद होम लोन, कार लोन और दूसरे तरह के सभी लोन सस्ते हो गए। बैंक ने सभी तरह के लोन के लिए ब्याज दर में कटौती की है। इस कटौती के बाद एक साल के लिए लोन पर ब्याज दर 8.45 प्रतिशत प्रतिवर्ष से घटकर 8.40 प्रतिशत प्रतिवर्ष हो गई थी। आज की कटौती के बाद रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट 1 सितंबर 2019 से 7.65 फीसदी हो जाएगी। एसबीआई ने कहा है कि उसने रिजर्व बैंक के रेपो रेट कटौती का पूरा फायदा ग्राहकों को पहुंचाया है।
क्या है MCLR?
अप्रैल 2016 से ऋण के लिए लिए जाने वाले ब्याज की जगह बैंकों में एमसीएलआर का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। जब आप किसी बैंक से कर्ज लेते हैं तो बैंक द्वारा लिए जाने वाले ब्याज की न्यूनतम दर को आधार दर कहा जाता है। आधार दर से कम दर पर बैंक किसी को लोन नहीं दे सकता। इसी आधार दर की जगह पर अब बैंक एमसीएलआर का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसकी गणना धनराशि की सीमांत लागत, आवधिक प्रीमियम, संचालन खर्च और नकदी भंडार अनुपात को बनाए रखने की लागत के आधार पर की जाती है। बाद में इस गणना के आधार पर लोन दिया जाता है। यह आधार दर से सस्ता होता है। इस वजह से होम लोन जैसे लोन्स भी इसके लागू होने के बाद से काफी सस्ते हुए हैं।