नई दिल्ली। हाल के दिनों में पेट्रोल की बढ़ी हुई कीमतें सुर्खियां बटोर रही है और ऐसा कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर ज्यादा टैक्स लगाकर अपनी तिजोरी भर रही है। लेकिन पेट्रोल पर लगने वाले टैक्स से होने वाली कमाई की हिस्सेदारी की बात करें तो अधिकतर हिस्सा राज्यों को जाता है जबकि केंद्र के पास राज्यों के मुकाबले आधा टैक्स भी नहीं आता।
उदाहरण के लिए दिल्ली के पेट्रोल के भाव को आधार मानें तो 16 अप्रैल को दिल्ली में पेट्रोल का दाम 70.48 रुपए प्रति लीटर था, इसमें से 27.70 रुपए रिफाइनरी की लागत है जबकि 2.75 रुपए मार्केटिंग मार्जिन और ट्रांसपोर्ट की लागत है। ऊपर से डीलर का मार्जिन 3.57 रुपए प्रति लीटर है। बाकी 14.98 रुपए राज्य का वैट है और 21.48 रुपए सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी है।
केंद्र को जाने वाली सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी में से 9.02 रुपए राज्य को ट्रांस्फर करने होते हैं और राज्य जो 14.98 रुपए वैट ले रहा है वह भी उसी के पास रहता है। इस लिहाज से राज्य को कुल टैक्स का 27.44 रुपए मिलता है जबकि केंद्र के पास 12.46 रुपए आते हैं। यानि कुल टैक्स का करीब 69 फीसदी हिस्सा राज्य को मिल रहा है और केंद्र के पास 31 फीसदी हिस्सा ही आ रहा है।
ऐसे में पेट्रोल की ज्यादा कीमतों के लिए पूरी तरह से केंद्र को जिम्मेवार ठरहना सही नहीं होगा। राज्य अगर अपने टैक्स में कटौती करें तो भी पेट्रोल की कीमतों में बड़ी गिरावट आ सकती है।