नई दिल्ली: पिछले 15 वर्षों में भारत सरकार ने ग्रामीण लोगों के लिए अवसर पैदा करने की दिशा में काम किया है। भारत प्रगति कर रहा है, लेकिन यह विकास केवल शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित है। जबकि 'भारत बनाम इंडिया' पर डिबेट अभी भी जारी है, ग्रामीण भारत, शहरी भारत से प्रगति के हर पैरामीटर पर बहुत दूर है, चाहे वह जीडीपी हो, रोज़गार हो, साक्षरता हो या स्वास्थ्य हो। ऐसे स्टार्टअप हैं जो ग्रामीण भारत में जीवन की बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं। टेक्नोलॉजी देश में बढ़ी हुई उत्पादकता और विकास की संभावनाओं के लिए मार्ग प्रशस्त करने वाली प्रमुख ऊर्जा है।
आईटीसी ग्रुप: आईटीसी समूह के बड़े पैमाने पर चल रहे सामाजिक निवेश कार्यक्रम जिन्हें अब एसआईपी के रूप में जाना जाता है, जो एमएसके (मिशन सुनेहरा काल) की रीढ़ हैं। एमएसके का उद्देश्य जल और वन संसाधनों को विकसित करने के लिए स्थानीय समुदायों के साथ साझेदारी में ग्रामीण क्षमता का निर्माण करना, नए गैर-कृषि आजीविका को खोलना, महिलाओं को सशक्त बनाना, प्राथमिक शिक्षा का विस्तार करना और भारत में फ्यूचर स्किल को विकसित करना है। एग्री-बिजनेस समूह ने 'ग्राम दत्तक ग्रहण कार्यक्रम (विलेज अडॉप्टेशन प्रोग्राम)' का बीड़ा उठाया है। इसमें आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना और राजस्थान के 250 मॉडल गांव शामिल हैं। ग्रामीण विकास के वित्त फंडिंग की यह पहल समग्र ग्रामीण विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एसएजीवाई (सांसद आदर्श ग्राम योजना) के साथ जोड़ी गई है।
शॉपमैटिक: एक ई-कॉमर्स समाधान प्रदाता के रूप में, शॉपमैटिक एसएमई और व्यक्तिगत उद्यमियों को अपने व्यवसाय को ऑनलाइन शिफ्ट करने में मदद करने के उद्देश्य से ई-कॉमर्स लैंडस्केप के कई तत्वों को एक मंच पर लाता है। कोविड-19 संक्रमण के दौरान हुए लॉकडाउन में शॉपमैटिक ने भारत के किराना स्टोरों के लिए टेलर्ड सॉल्यूशन पेश किया। जिससे उन्हें तकनीकी जानकारियों या डिज़ाइन के अनुभव के बिना प्री-डेवलपड कैटलॉग के साथ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अपनी पहचान बनाने में मदद मिली। इस मंच ने आसान इन्वेंट्री मैनेजमेंट, सुरक्षित और तेज ऑनलाइन भुगतान, कॉन्टेक्ट लेस डिलीवरी और सेल्फ पिकअप जैसे विकल्प भी पेश किए। शॉपमैटिक के टेक-सेंट्रिक सॉल्यूशन्स के साथ, दुकान के मालिक अपने फोन का उपयोग इन्वेंट्री, सेल, ऑर्डर, कस्टोमर्स आदि को ट्रैक कर सकते हैं। उद्यमी और व्यवसाय चार ई-कॉमर्स समाधान- चैट सेलिंग, सोशल सेलिंग, मार्केटप्लेस सेलिंग या वेब स्टोर्स पर बिक्री का विकल्प चुन सकते हैं। ग्राहक उस समाधान का चयन कर सकते हैं जो उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप हो।
ट्रेल: भारत का सबसे तेजी से बढ़ता कंटेंट सोशल कॉमर्स प्लेटफॉर्म, वर्तमान में 8 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है, जिसमें - मराठी, बंगाली, तमिल और कन्नड़ के साथ 10 बिलियन से अधिक मासिक व्यूज हैं, ट्रेल अब अपने 15 मिलियन प्लस क्रिएटर बेस की लोकप्रियता का लाभ उठाकर 100 मिलियन प्लस योगकर्ताओं की मांगों को पूरा कर रहा है। ट्रेल की 6 से अधिक क्षेत्रीय भाषाएं -मराठी, बंगाली, तमिल और कन्नड़ हैं। इसका लक्ष्य देश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के उपयोगकर्ताओं को रियल और रेलेवेंट कंटेंट प्रदान करना है। 2017 में अपनी स्थापना के बाद से, ट्रेल देश भर में वर्नाक्यूलर उपभोक्ताओं की मनोरंजन जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है, इसके 70% से अधिक उपयोगकर्ता टियर -2, टियर -3 और टियर -4 शहरों से हैं।
डॉटपे: हमारे ग्रामीण देश के छोटे व्यवसायों और व्यक्तिगत व्यवसाय के मालिकों को महामारी के दौरान अपने व्यवसाय को ऑनलाइन ले जाने में मदद करने के लिए गुड़गांव स्थित ओ2ओ कॉमर्स और फिनटेक प्लेटफॉर्म डॉटपे ने डिजिटल शोरूम शुरू किया है। नए युग का डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म उन्हें 15 सेकंड के भीतर वॉट्सएप पर एक ऑनलाइन स्टोर स्थापित करने और ऑनलाइन बिक्री शुरू करने में मदद करता है। डिजिटल शोरूम डॉटपे की एक पहल है, जो एक टेक्नोलॉजी स्टार्टअप है। यह स्टार्टअप ऑफलाइन इंटरप्राइज बिजनेस को एक कॉमर्स और पेमेंट का प्लेटफॉर्म देता है ताकि वे अपने बिजनेस को डिजटल कर सकें और अपने ग्राहकों के साथ उसी तरह चीजें सेल, मैनेज और इंगेज करें जैसे वो पहले करते थे। इस प्लेटफॉर्म ने मैकडॉनल्ड्स, स्टारबक्स, हल्दीराम जैसे हजारों व्यवसायों को अपने ग्राहकों को ऑनलाइन ऑर्डरिंग अनुभव देने में मदद की है।