कोलंबो। श्रीलंका ने चीन के साथ तीन वर्ष के लिए 10 अरब युआन (करीब 1.5 अरब डॉलर) का मुद्रा अदला-बदली समझौता किया है, जिसका इस्तेमाल दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार और प्रत्यक्ष निवेश के लिए किया जाएगा। सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका ने यह घोषणा की। यह समझौता सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका (सीबीएसएल) और पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (पीबीओसी) के बीच सोमवार को हुआ था।
सीबीएसएल ने एक बयान में कहा कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना श्रीलंका के आयात का सबसे बड़ा स्रोत बना हुआ है। 2020 में चीन से आयात 3.6 अरब डॉलर (श्रीलंका के आयात का 22.3 प्रतिशत) था। सीबीएसएल के मौद्रिक बोर्ड की सिफारिश के बाद मंत्रिमंडल ने मुद्रा अदला-बदली समझौते को मंजूरी दी। बयान में कहा गया है कि दोनों केंद्रीय बैंकों के गवर्नर- सीबीएसएल के प्रो डब्ल्यू डी लक्ष्मण और पीबीओसी के गवर्नर डॉ यी गैंग ने इस समझौते पर दस्तखत किए।
इस समय श्रीलंका भारतीय रिजर्व बैंक के साथ एक अरब अमेरिकी डॉलर के मुद्रा अदला-बदली समझौते के लिए भारत से बातचीत कर रहा है। पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे की ढाका यात्रा के दौरान जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया था कि श्रीलंका और बांग्लादेश के केंद्रीय बैंक एक संभावित अदला-बदली समझौते के लिए बातचीत करेंगे।
श्रीलंका और चीन के बीच यह समझौता ऐसे समय में हुआ है, जब श्रीलंका कोविड-19 की वजह से मुश्किल वक्त का सामना कर रहा है। इससे इसकी अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है, विशेषकर इसकी 4.5 अरब डॉलर वाली टूरिज्म इंडस्ट्री पर, जो 2019 में ईस्टर संडे को हुए आतंकी हमले की वजह से पहले से ही दबाव में है।
चीन का मानना है कि बीजिंग के महत्वाकांक्षी बेल्ट और रोड कार्यक्रम में श्रीलंका एक अहम किरदार है। पिछले कई सालों में चीन ने श्रीलंका को उसकी कई प्रमुख ढांचागत परियोजनाओं के लिए अरबों डॉलर का कर्ज दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि श्रीलंका में चीन द्वारा वित्तपोषित इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स वित्तीय रूप से व्यहवार्य नहीं हैं और इसकी वजह से कोलंबो को कर्ज लौटाने में मुश्किल होगी।
रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हमबनटोटा पोर्ट के निर्माण के लिए चीन से कर्ज लेना कर्ज-जाल डिप्लोमेसी का एक अच्छा उदाहरण है। हमबनटोटा पोर्ट के लिए श्रीलंका ने चीन से कर्ज लिया था और कर्ज चुकाने में चूक करने पर श्रीलंका ने 2017 में कर्ज के बदले इस पोर्ट को 99 साल की लीज पर चीन को दे दिया। श्रीलंका को 2025 तक 4.5 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज भी चुकाना है।
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