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अपने उपभोक्ताओं की बिजली काटकर दूसरे राज्यों को महंगे दाम पर बेच रहे हैं कुछ राज्य, केंद्र ने की सख्ती

राज्यों को लिखे पत्र में केंद्र ने कहा है कि केंद्रीय बिजली संयंत्रों से राज्यों के हिस्से की बिजली के कोटे का राज्य अपने उपभोक्ताओं की जरूरत के लिए ही इस्तेमाल करें

Edited by: Devendra Parashar @DParashar17
Updated on: October 12, 2021 12:18 IST
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Photo:PTI

अपने उपभोक्ताओं की बिजली काटकर दूसरे राज्यों को महंगे दाम पर बेच रहे हैं कुछ राज्य, केंद्र ने की सख्ती

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने उन राज्यों पर सख्ती की है जो अपने उपभोक्ताओं की बिजली काटकर दूसरे राज्यों को महंगे दाम पर बेच रहे थे। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर कहा है कि केंद्र के अधीन आने वाले बिजली संयंत्रों से राज्यों को मिलने वाली बिजली का इस्तेमाल राज्य अपने उपभोक्ताओं की जरूरत के लिए ही करें न की अपने उपभोक्ताओं की बिजली काटकर दूसरे राज्यों को महंगे दाम पर बेचें। राज्यों को लिखे पत्र में केंद्र ने यह भी कहा है कि अगर कोई राज्य अपने हिस्से की बिजली का इस्तेमाल अपने उपभोक्ताओं के लिए नहीं करके दूसरे राज्यों को बेचते हैं तो उनका बिजली का कोटा अस्थाई तौर पर कम किया जा सकता है या रोका जा सकता है। 

राज्यों को लिखे पत्र में केंद्र ने कहा है कि केंद्रीय बिजली संयंत्रों से राज्यों के हिस्से की बिजली के कोटे का राज्य अपने उपभोक्ताओं की जरूरत के लिए ही इस्तेमाल करें, और अगर इस्तेमाल के बाद बिजली बचती है तो इसकी सूचना वे केंद्र को दें ताकि केंद्र सरकार उस बिजली की सप्लाई जरूरतमंद राज्य को कर सके। 

क्या है नियम

मौजूदा नियमों के अनुसार केंद्रीय ऊर्जा संयंत्रों में पैदा होने वाली बिजली का लगभग 15 प्रतिशत हिस्सा किसी को आबंटित नहीं किया जाता और उस हिस्से को केंद्र सरकार जरूरतमंद राज्य को सप्लाई करती है। राज्यों को लिखे पत्र में केंद्र ने सभी राज्यों से आग्रह किया है कि राज्य बिजली के उस 15 प्रतिशत हिस्से का इस्तेमाल अपने उपभोक्ताओं की जरूरत को पूरा करने के लिए करें और अगर उसके बाद बिजली बचती है तो केंद्र को उसकी जानकारी दें न की अपने उपभोक्ताओं की बिजली काटकर पावर एक्सचेंज पर महंगे दाम पर दूसरे राज्यों को बेचें। 

70 प्लांटों में चार दिन से कम का भंडार 

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कोयले के चार दिन से कम भंडार वाले बिजली संयंत्रों की संख्या रविवार को बढ़कर 70 हो गई, जो एक सप्ताह पहले तीन अक्टूबर को 64 थी। ताजा आंकड़ों के मुताबिक कुल 1,65,000 मेगावाट से अधिक स्थापित क्षमता वाले कुल 135 संयंत्रों में 70 संयंत्रों में 10 अक्टूबर 2021 को चार दिन से भी कम का कोयला बचा था। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) इन 135 संयंत्रों की निगरानी करता है।

बढ़ती मांग ने बढ़ाई चिंता

बिजली मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक बिजली की खपत आठ अक्टूबर को 390 करोड़ यूनिट थी, जो इस महीने अब तक (1-9 अक्टूबर) सबसे ज्यादा थी। बिजली की मांग में तेजी देश में चल रहे कोयला संकट के बीच चिंता का विषय बन गई है। टाटा पावर की इकाई टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड (डीडीएल), जो उत्तर और उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में बिजली वितरण का काम करती है, ने शनिवार को अपने उपभोक्ताओं को फोन पर संदेश भेजकर कोयले की सीमित उपलब्धता के चलते विवेकपूर्ण तरीके से बिजली का उपयोग करने का अनुरोध किया था। 

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