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कुछ सेक्‍टर के निर्यात में दिखने लगे हैं सुधार के संकेत, वैश्विक बाजार में नरमी बरकरार

वैश्विक व्यापार में कमजोरी के बीच निर्यात के कुछ क्षेत्रों जैसे रेडीमेड गारमेंट्स, फार्मास्यूटिकल्‍स और इलेक्ट्रॉनिक्स में सुधार के संकेत दिख रहे हैं।

Abhishek Shrivastava
Published on: December 01, 2015 15:59 IST
कुछ सेक्‍टर के निर्यात में दिखने लगे हैं सुधार के संकेत, वैश्विक बाजार में नरमी बरकरार- India TV Paisa
कुछ सेक्‍टर के निर्यात में दिखने लगे हैं सुधार के संकेत, वैश्विक बाजार में नरमी बरकरार

नई दिल्‍ली। वैश्विक व्यापार में कमजोरी बरकरार रहने के बीच निर्यात के कुछ क्षेत्रों जैसे रेडीमेड गारमेंट्स, फार्मास्यूटिकल्‍स और इलेक्ट्रॉनिक्स में सुधार के शुरुआती संकेत दिखने लगे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने मंगलवार को मौद्रिक नीति की पांचवीं समीक्षा में कहा कि देश के निर्यात में अक्टूबर के दौरान लगातार 11वें महीने गिरावट रही है, जिससे वैश्विक व्यापार में निरंतर कमजोरी का संकेत मिलता है।

केंद्रीय बैंक ने कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों को छोड़कर, हालांकि, निर्यात में गिरावट थोड़ी कम रही है और रेडीमेड गारमेंट, दवा एवं फार्मा और इलेक्ट्रॉनिक्स के मामले में सुधार के शुरुआती संकेत दिख रहे हैं। ये क्षेत्र देश के कुल निर्यात में करीब 14-15 फीसदी का योगदार करते हैं। रिजर्व बैंक ने कहा कि वैश्विक जिंस मूल्य, विशेष तौर पर कच्चे तेल में और नरमी के साथ पेट्रोलियम तथा गैर-पेट्रोलियम दोनों किस्म के निर्यात का संकुचन बरकरार है।  त्योहारी मौसम के बावजूद सर्राफा आयात में नरमी से अक्‍टूबर के दौरान और चालू वित्त वर्ष में अब तक व्यापार घाटा कम होने में मदद मिली, जिससे चालू खाते का घाटा और कम हुआ है। रिजर्व बैंक ने कहा कि मांग घटने तथा कई प्राथमिक जिंसों और औद्योगिक उत्पादों की अत्यधिक आपूर्ति से वैश्विक व्यापार में नरमी आई है।

वेतन आयोग की सिफारिशों से राजकोषीय स्थिति नहीं गड़बड़ाएगी

रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर अमल से राजकोषीय स्थिति को मजबूत करने का गणित गड़बड़ नहीं होगा क्योंकि इस पर अतिरिक्त खर्च होगा उसे अतिरिक्त राजस्व से या खर्चों में कटौती से पूरा कर लिया जाएगा। सातवें वेतन आयोग ने केंद्र सरकार के एक करोड़ कर्मचारियों और पेंशनरों के वेतन भत्तों में 23.6 फीसदी वृद्धि की सिफारिश की है, जिससे वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान सरकारी खजाने पर 1.02 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ने का अनुमान है, जो जीडीपी के 0.65 फीसदी के बराबर होगा।

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