मुंबई। छतों पर लगने वाली सौर परियोजनाओं की गति अच्छी नहीं होने से सरकार के लिए छतों के ऊपर लगी परियोजनाओं के जरिए 2022 तक 40,000 मेगावाट सौर बिजली उत्पादन की क्षमता सृजित करने का लक्ष्य हासिल करना कठिन हो सकता है। सरकार ने 2022 तक 1,00,000 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। इसमें 40,000 मेगावाट की क्षमता छतों पर लगने वाली सौर परियोजनाओं से आनी है।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार हालांकि वित्त वर्ष 2017-18 के लिए छतों पर 5,000 मेगावाट सौर ऊर्जा की स्थापना का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन अबतक 2,000 मेगावाट से अधिक की सौर ऊर्जा क्षमता ही स्थापित हो पायी है।
सोलर पावर डेवलपर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विनीत मित्तल ने कहा कि छतों पर लगने वाली परियोजनाएं इतनी मात्रा में जोड़ी नहीं जा सकती क्योंकि बहुत से निर्मित ढांचों को इस काम को ध्यान में रख कर डिजाइन नहीं किया है। साथ ही लोग खुले क्षेत्र के कारगर प्रयोग के अभयस्त नहीं हैं। ऐसे में सरकार ने जो लक्ष्य रखा है, उसे हासिल करना कठिन होगा।
जेनसोल समूह के संस्थापक और निदेशक अनमोल जग्गी ने कहा कि सरकारी इमारतों और मॉल या गोदाम जैसे वाणिज्यिक इमारतों की छतों पर ऐसी परियोजनाएं लगाने की क्षमता है लेकिन रिहायशी इमारतों पर यह मुश्किल है, खासकर आजकल जैसी इमारतें बन रही हैं।
उनके अनुसार लेकिन ग्रिड कनेक्टिविटी और मीटर को लेकर चिंता बरकरार है। कई गोदाम ऐसे हैं जो जितनी बिजली पैदा करते हैं, उतनी खपत नहीं करते। ऐसे में उसे ग्रिड से जोड़ना अनिवार्य है। लग्गी ने कहा कि कुल 1,00,000 मेगावाट की सौर ऊर्जा क्षमता सृजित करने के लिये सरकार को वैकल्पिक स्रोत तलाशना होगा क्योंकि छतों के जरिए 40,000 मेगावाट क्षमता सृजित करना मुश्किल जान पड़ता है।
वारी एनर्जी के निदेशक सुनील राठी के अनुसार विशेषज्ञों के अनुसार जमीन उपयोग की सीमाओं को देखते हुए जल क्षेत्र में सौर परियोजनाएं बेहतर विकल्प हो सकती हैं।