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वर्कप्‍लेस पर उत्पादकता प्रभावित कर रहा है सोशल मीडिया, कर्मचारी दिन का 32% समय खर्च कर रहे हैं इस पर

सोशल मीडिया के असीमित इस्तेमाल से वर्कप्‍लेस पर कर्मचारियों की उत्पादकता पर नकारात्मक असर पड़ रहा है, क्‍योंकि वह हर दिन 32% समय इस पर खर्च करते हैं।

Abhishek Shrivastava
Updated on: October 18, 2016 16:40 IST
वर्कप्‍लेस पर उत्पादकता प्रभावित कर रहा है सोशल मीडिया, कर्मचारी दिन का सबसे ज्‍यादा समय खर्च करते हैं Facebook पर- India TV Paisa
वर्कप्‍लेस पर उत्पादकता प्रभावित कर रहा है सोशल मीडिया, कर्मचारी दिन का सबसे ज्‍यादा समय खर्च करते हैं Facebook पर

नई दिल्ली। एक ताजा सर्वे में खुलासा हुआ है कि सोशल मीडिया के असीमित इस्तेमाल से वर्कप्‍लेस पर कर्मचारियों की उत्पादकता पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्‍योंकि कर्मचारी हर दिन अपने समय का 32 प्रतिशत से भी अधिक समय सोशल मीडिया पर खर्च करते हैं।

टीमलीज वर्ल्‍ड ऑफ वर्क रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया है। इसके अनुसार कार्यस्थल पर सोशल मीडिया पर हर दिन 2.35 घंटे खर्च किए जाते हैं और सोशल मीडिया में लगे रहने के कारण कुल उत्पादकता को लगभग 13 प्रतिशत का नुकसान हो रहा है।

  • कर्मचारियों द्वारा सोशल मीडिया के अनाप शनाप इस्तेमाल से गोपनीय सूचनाओं को नुकसान, कर्मचारियों के लालच में आने, गलत सूचनाओं के प्रसार जैसी घटनाएं होती हैं।
  • रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्‍यादा इस्तेमाल किए जाने वाले सोशल मीडिया में फेसबुक पहले स्थान पर है।
  • कामकाजी घंटों में सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले 62 प्रतिशत कर्मचारियों में से 83 प्रतिशत काफी समय फेसबुक पर बिताते हैं।

तस्‍वीरों में देखिए कैसे ब्‍लॉक कर सकते हैं जीमेल आईडी

how to block Gmail ID

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नीति आयोग ने इस्पात व खनन क्षेत्रों के लिए स्वतंत्र नियामकों की वकालत की 

सरकारी शोध संस्थान नीति आयोग ने देश में इस्पात व खनन क्षेत्रों के लिए स्वतंत्र नियामक बनाने का समर्थन किया है ताकि इन दोनों उद्योगों को लाभप्रद बनाया जा सके। इसके साथ ही आयोग ने नई व गतिशील इस्पात नीति का समर्थन किया है, ताकि 100 अरब डॉलर से अधिक राशि के इस उद्योग को पटरी पर लाया जा सके और 2025 तक 30 करोड़ टन के लक्ष्य को हासिल कर लिया जाए।

  • आयोग ने एक परिपत्र में कहा है,चूंकि इस्पात नियंत्रणमुक्त क्षेत्र है, प्रभावी नियमन के लिए एक स्वतंत्र नियामक की जरूरत है, जिसका फिलहाल अभाव है। इ
  • खनन क्षेत्र में हालांकि एनएमडीसी को नियामक के रूप में काम करना चाहिए लेकिन चूंकि यह खुद लौह अयस्क खनन में कार्यरत है, जिससे हितों का टकराव हो सकता है। इसलिए खनन क्षेत्र में भी नए स्वतंत्र नियामक की जरूरत है।
  • इस्पात कंपनियों की बिगड़ती वित्तीय हालत के बारे में नीति आयोग ने कहा है कि आपूर्ति व मांग कारकों के चलते बीते कुछ वर्षों से कंपनियों पर भारी ऋण भार है।
  • यह परिपत्र नीति आयोग के सदस्य वी के सारस्वत व नीति आयोग पेशेवर रिपुंजय बंसल ने तैयार किया हे।

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