नयी दिल्ली। उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) ने बुधवार को कहा कि जिंसों की आसमान छूती कीमतें कंपनियों, खासकर सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के कीमत लागत मार्जिन को बुरी तरह प्रभावित कर रही हैं। उद्योग मंडल ने साथ ही कहा कि मुद्रास्फीति को संतुलित करने और मुद्रा स्थिरता बनाए रखने में भारतीय रिजर्व बैंक की महत्वपूर्ण भूमिका है।
पीएचडीसीसीआई ने उन क्षेत्रों का खाका तैयार करते हुए पांच सुझाव दिए, जिनपर रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास के दूसरे कार्यकाल के दौरान ध्यान दिया जाना चाहिए। उद्योग मंडल की यह टिप्पणी उन्हीं सुझावों का हिस्सा है।
पीएचडीसीसीआई ने केंद्रीय बैंक के गवर्नर के रूप में दास की पुन: नियुक्ति की सराहना करते हुए कहा, "उनके शानदार नेतृत्व में रिजर्व बैंक ने महामारी की शुरुआत के बाद से इसके प्रभाव को कम करने और अर्थव्यवस्था में नकदी बढ़ाने के लिए कई पारंपरिक उपाय किए।" उसने कहा कि दास को अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान पांच प्रमुख सुझावों पर ध्यान देना चाहिए। इनमें 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए उच्च आर्थिक वृद्धि के रास्ते को प्राप्त करना और बनाए रखना शामिल है।
पीएचडीसीसीआई ने सुझाव दिया, "जिंसों की आसमान छूती कीमतें कंपनियों विशेष रूप से एमएसएमई के मूल्य लागत मार्जिन को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही हैं। इसलिए, इस मोड़ पर, देश में मुद्रास्फीति को संतुलित करने और उच्च वृद्धि हासिल करते हुए मुद्रा स्थिरता बनाए रखने के लिए रिजर्व बैंक की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।" उद्योग मंडल ने साथ ही कहा कि दास को मुद्रास्फीति के दबाव को संतुलित करते हुए प्रणाली में पर्याप्त नकदी बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।