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अब ई-कॉमर्स दिग्गज Snapdeal के प्रोडक्ट्स पर नहीं मिलेगी 70 फीसदी तक की छूट

ई-कॉमर्स दिग्गज स्नैपडील(Snapdeal) ने घोषणा की है कि वह 13 मई से अपने प्लैटफॉर्म पर 70 फीसदी से ज्यादा के डिस्काउंट ऑफर्स बंद कर रहा है।

Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Updated on: May 12, 2016 14:21 IST
प्रोडक्‍ट रिटर्न से परेशान हुई Snapdeal, अब ग्राहकों को नहीं मिलेगा 70 फीसदी से ज्‍यादा का डिस्‍काउंट- India TV Paisa
प्रोडक्‍ट रिटर्न से परेशान हुई Snapdeal, अब ग्राहकों को नहीं मिलेगा 70 फीसदी से ज्‍यादा का डिस्‍काउंट

नई दिल्ली: ई-कॉमर्स दिग्गज स्नैपडील(Snapdeal) ने घोषणा की है कि वह 13 मई से अपने प्लटफॉर्म पर 70 फीसदी से ज्यादा के डिस्काउंट ऑफर्स बंद कर रहा है। यह फैसला खराब प्रोडक्‍ट को रिटर्न करने से कंपनी पर पड़़ने वाले आर्थिक बोझ के कारण लिया गया है। कंपनी का कहना है कि ज्‍यादा डिस्‍काउंट वाले प्रोडक्‍ट की क्‍वालिटी भी अच्‍छी नहीं होती, जिसे ग्राहक मंगाने के बाद वापस कर देते हैं। कंपनी ने 9 मई को एक मैसेज भेजा था जिसमें लिखा था कि ‘हमने पाया है कि बहुत ज्यादा डिस्काउंट यानी डीप डिस्काउंटिंग वाले प्रॉडक्ट्स अक्सर कस्टमर्स की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरते। इसके चलते प्रॉडक्ट्स को लेकर कस्टमर्स में अंसतोष बढ़ता है और उसको रिटर्न किए जाने के मामले भी बढ़ते हैं।‘

ग्राहकों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए अब न तो एमआरपी पर 70 फीसदी से ज्यादा छूट पर नए प्रोडक्ट्स लिस्ट किए जाएंगे और न ही लिस्टेड प्रोडक्ट्स की कीमतें अपडेट की जाएंगी। स्नैपडील के साथ साथ कई ई-कॉमर्स कंपनियों के विक्रेताओं ने शिकायत की है नो क्वेश्चन आस्क्ड पॉलिसी के तहत ग्राहकों की ओर से सामान लौटाने की घटानाएं बढ़ रही हैं। विक्रेताओं का मानना है कि सामान वापस लौटाने से लॉजिस्टिक संबंधित दिक्कतें हो जाती हैं क्योंकि इनवेंटरी लंबे तक के लिए ट्रांजिट में फंस जाती है जिसकी वजह से एकाउंटिंग में परेशानी आती है।

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रिटेल कंसल्टेंसी फर्म थर्ड आइसाइट के चीफ एग्जिक्यूटिव देवांग्शु दत्ता के अनुसार यह स्ट्रैटेजी कामयाब हो सकती है क्योंकि ई-कॉमर्स में नई एफडीआई पॉलिसी को सेलर्स चैलेन्‍ज्‍ड कर सकते हैं। ई-कॉमर्स का उदेश्य साफ है। सरकार भी डीप डिस्काउंटिंग को नियंत्रित करना चाहती है।  इस वजह से सरकार को स्नैपडील के फैसले किसी भी तरह की परेशानी नहीं होगी। लेकिन हो सकता है कि यह पॉलिसी कीमतों पर असर डालेगी इसलिए इसको चुनौती दे सकते हैं।

आप को बता दें कि सरकार ने 29 मार्च को मार्केटप्लेस मॉडल को डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क पर खरीदार और विक्रेता के बीच डील कराने वाले प्रोवाइडर के तौर पर परिभाषित किया था। साथ ही ई-कॉमर्स, ई-कॉमर्स एंटिटी और इनवेंटरी बेस्ड मॉडल की भी परिभाषा दी थी। हाल ही आईं गाइडलाइंस के तहत मार्केटप्लेस देने वाली ई-कॉमर्स कंपनियों को एक जैसा अवसर दिया जाएगा।  इसके अलावा उनको प्रॉडक्ट्स और सर्विस की कीमत को सीधे या दूसरे तरीके से प्रभावित करने की इजाजत नहीं होगी।

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