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देश के 64 फीसदी स्मार्टफोन यूजर्स को नहीं पता कैसे खत्‍म हो जाता है उनका इंटरनेट डेटा

स्मार्टफोन मोबाइल इंटरनेट डेटा बिल 50 फीसदी तक बढ़ गए हैं लेकिन उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है कि उनका डेटा इतनी तेजी से कैसे खत्म हो जाता है।

Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Updated : June 14, 2016 22:04 IST
Right To Know: देश के 64 फीसदी स्मार्टफोन यूजर्स को नहीं पता कैसे खत्‍म हो जाता है उनका इंटरनेट डेटा
Right To Know: देश के 64 फीसदी स्मार्टफोन यूजर्स को नहीं पता कैसे खत्‍म हो जाता है उनका इंटरनेट डेटा

नई दिल्ली। एक अध्ययन के अनुसार स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वालों के लिए मोबाइल इंटरनेट डेटा बिल 50 फीसदी तक बढ़ गए हैं लेकिन उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है कि उनका डेटा इतनी तेजी से कैसे खत्म हो जाता है। इंटरनेट कॉलिंग एप नानू ने एक अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला है।

इसके अनुसार, 64 फीसदी भारतीयों ने अपने डेटा बिल में 10 फीसदी से अधिक वृद्धि जबकि 21 फीसदी ने अपने डेटा बिल में 50 फीसदी से अधिक वृद्धि का संकेत दिया है। बिहार व झारखंड के सभी भागीदारों में से 34 फीसदी का दावा है कि उनके डेटा खर्च में 50 फीसदी से भी अधिक की बढ़ोतरी हुई है। अध्ययन के अनुसार ज्यादातर स्मार्टफोन उपयोक्ताओं को इसके बारे में कोई सुराग नहीं है कि उनका डेटा इतनी जल्दी व तेजी से कैसे खत्म होता है।

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हैदराबाद में आरएलटी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रही हैं दूरसंचार कंपनियां: ट्राई

दूरसंचार नियामक ट्राई ने पाया है कि एयरटेल, वोडाफोन व बीएसएनएल सहित प्रमुख मोबाइल कंपनियां हैदराबाद में रेडियो लिंक टाइमआउट (आरएलटी) प्रौद्योगिकी का उच्च स्तर पर इस्तेमाल कर रही हैं। इस प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कथित तौर पर कालड्राप पर पर्दा डालने के लिए किया जाता है।

तस्वीरों में देखिए टेलीकॉम कंपनियों के 4G प्लान

4G data plans

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ट्राई ने हैदराबाद में नेटवर्क ड्राइव टेस्ट पर अपनी रपट में यह जानकारी दी है। इसमें कहा गया है कि जांच किए गए 14 में से 11 नेटवर्क सेवा गुणवत्ता नियमों के तहत तय काल ड्राप मानकों पर खरा नहीं उतरे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारती एयरटेल, वोडाफोन, BSNL, टाटा दोकोमो व टेलीनोर के 2जी नेटवर्कों में RLT को अन्य कंपनियों की तुलना में ऊंचा रखा गया है। आधिकारिक सूत्रों ने दावा किया कि ये कंपनियां काल ड्राप पर पर्दा डालने के लिए इस प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रही हैं।

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