नई दिल्ली। सामाजिक कार्यों पर खर्च करने के मामले में देश की छोटी कंपनियां बड़े-बड़े काम कर रही हैं। वहीं, बड़ी कंपनियां कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसबिल्टी (सीएसआर) निभाने में पीछे हैं। क्रिसिल फाउंडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक 53 फीसदी छोटी कंपनियों (जिनका रेवेन्यू 100 करोड़ से 500 करोड़ रुपए के बीच है) ने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसबिल्टी के तहत पिछले तीन साल के औसत लाभ का 2 फीसदी या उससे अधिक खर्च किया है। जबकि, सिर्फ 31 फीसदी बड़ी कंपनियों (जिनका रेवेन्यू 1000 करोड़ रुपए से अधिक है) ने सीएसआर पर नेट प्रॉफिट का 2 फीसदी खर्च किया है।
कंपनियां नहीं निभा रही सामाजिक दायित्व
कंपनी अधिनियम, 2013 के मुताबिक देश में स्थित सभी प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर कंपनियों, जिनकी सालाना नेट वर्थ 500 करोड़ या रेवेन्यू 1,000 करोड़ रुपए है, उनको नेट प्रॉफिट का 2 फीसदी सामाजिक कार्यों पर खर्च करना होता है। रिपोर्ट के मुताबिक बीएसई पर लिस्टेड 1,300 कंपनियों में से 1,000 कंपनियों ने वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान इस नियम का पालन किया है। लेकिन, सीएआर पर इन कंपनियों का औसत खर्च 1.5 फीसदी है, जो कि निर्धारित 2 फीसदी से कम है।
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200 कंपनियों ने कुछ भी नहीं किया खर्च
क्रिसिल के मुताबिक, इन 1,000 कंपनियों ने 6800 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। अगर ये कंपनियां नियम के तहत 2 फीसदी खर्च करतीं तो इस रकम में करीब 3200 करोड़ रुपए का इजाफा हो जाता। स्टडी के मुताबिक 200 कंपनियों ने सामाजिक कार्यों पर कुछ भी खर्च नहीं किया है।
कंपनियों के खर्च का ब्रेक-अप
एजुकेशन और स्किल डेवलपमेंट पर सबसे ज्यादा खर्च
क्रिसिल के मुताबिक बड़ी कंपनियों को सीएसआर पर खर्च करने के लिए रणनीति बनाने में समय लगता है, क्योंकि 2 फीसदी महत्वपूर्ण राशि होती है। ये कंपनियां वित्त वर्ष 2016 में दायित्वों को पूरा कर सकती हैं। वहीं, सीएसआर के तहत सबसे ज्यादा पैसा कंपनियां एजुकेशन और स्किल डेवलपमेंट पर खर्च कर रही हैं। स्पोर्ट्स और टेक्नोलॉजी के विकास पर कंपनियां ध्यान नहीं दे रही हैं।
कंपनियों ने सीएसआर के पैसों को यहां किया खर्च