नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को और सरल बनाने के लिए प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे विश्व बैंक के कारोबार सुगमता सूचकांक में भारत की रैंकिंग सुधारने में मदद मिलेगी। विश्व बैंक की 2020 की कारोबार सुगमता सूची में भारत 14 पायदान ऊपर 63वें स्थान पर आ गया है। इसका कारण ऋण शोधन मामलों के समाधान तथा निर्माण परमिट प्राप्त करने में सुधार है।
सरकार ने अगले कुछ साल में कारोबार सुगमता रैंकिंग मामले में 50 के भीतर आने का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा संपत्ति पंजीकरण, कर भुगतान, बिजली कनेक्शन लेना और कारोबार शुरू करने के मानदंडों में सुधार हुआ है। हालांकि कर्ज प्राप्त करने, अल्पांश निवेशकों का संरक्षण तथा ठेके को लागू करने के मामले में प्रभावी सुधार नहीं हुए।
सीतारमण ने कहा कि अब प्रयास शीर्ष 50 में आने का होगा। उन्होंने कहा कि अभी कंपनी शुरू करने के मानदंड में केवल एक पायदान का सुधार हुआ है, अत: क्षेत्र में सुधार की और कोशिश करनी होगी। सीतारमण ने कहा कि जीएसटी के मामले में कठिनाइयां कहां है, इसे समझना एक निरंतर प्रक्रिया है। हम इस बात पर भी गौर कर रहे हैं ऑनलाइन रिटर्न फाइल उपयोग करने में कहां समस्याएं हैं। इसीलिए जीएसटी को सरल बनाना निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। जीएसटी की अगली बैठक जब भी होती है, हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि अनुपालन को सरल बनाने के लिए कई कदम उठाए जाएं।
मंत्री ने यह भी कहा कि अगले साल से रैंकिंग में विश्व बैंक कोलकाता और बेंगलुरू में कारोबारी माहौल को शामिल करेगा। फिलहाल वह केवल दिल्ली और मुंबई को शामिल करता है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि अबतक देश के दो शहरों को ही शामिल किया जाता रहा है। बड़े और क्षेत्रीय विविधता वाले देश में हमने विश्व बैंक से कहा था कि केवल दो शहरों को शामिल करने से सही प्रतिनिधित्व नहीं हो सकता। इसीलिए आने वाले वर्ष में कोलकाता और बेंगलुरू को शहरों की सूची में शामिल किया जाएगा।
इसके तहत विश्व बैंक रैंकिंग सूचकांक तैयार करते समय इन दोनों शहरों के उद्योग से राय लेगा। मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमणियम ने कहा कि बैंकों द्वारा कर्ज देने को लेकर ग्राहकों तक पहुंचने के मौजूदा कार्यक्रम से एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) को कर्ज देने की स्थिति में सुधार होगा।