मुंबई: सरकार द्वारा दो अक्टूबर से एक बार उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव के साथ प्लास्टिक उद्योग का कहना है कि वह आगे किसी तरह की पहल करने से पहले मामले में स्पष्ट परिभाषा का इंतजार कर रहा है। प्लास्टइंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष जिगीश दोशी ने प्लास्टइंडिया के 11 वें संस्करण की शुरुआत के मौके पर बताया, ‘‘हम सभी बेसब्री से एकबारगी इस्तेमाल वाले प्लास्टिक (सिंगल-यूज़ प्लास्टिक) की परिभाषा का इंतज़ार कर रहे हैं। इस परिभाषा से पॉलिथीन कैरी बैग की मोटाई को तय किया जायेगा कि क्या वह 50 माइक्रोन से कम होगा? हमें उम्मीद है कि एक बार इस्तेमाल वाले प्लास्टिक की परिभाषा जल्द सामने आयेगी और सारे भ्रम को दूर होंगे।’’
प्लास्टइंडिया फाउंडेशन देश में प्लास्टिक से जुड़े प्रमुख संघों, संगठनों और संस्थानों की सर्वोच्च संस्था है। उन्होंने कहा, इस बीच अगर बगैर स्पष्ट परिभाषा के प्रतिबंध को लागू किया जाता है तो निश्चित रूप से उद्योग पर कुछ प्रभाव पड़ेगा और उद्योग से सीधे तौर पर कार्यरत पांच लाख लोग और 50 लाख अन्य लोग अपनी आजीविका खो देंगे। मौजूदा समय में यह उद्योग प्रत्यक्ष रूप से लगभग एक करोड़ लोगों को और अप्रत्यक्ष रूप से 10 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान करता है।
इसके अलावा, प्लास्टिक उद्योग को 30,000-40,000 करोड़ रुपये के राजस्व का भी नुकसान होगा। उन्होंने कहा, यह एक क्रमिक प्रक्रिया होनी चाहिए और उद्योग और उपभोक्ताओं दोनों को 6 महीने से एक साल का समय दिया जाना चाहिए ताकि प्रतिबंधित सामान का कोई विकल्प लाया जा सके। उन्होंने कहा कि कुल उद्योग का आकार लगभग चार लाख करोड़ रुपये का है और कुल खपत लगभग 17,770 अरब टन है। रसायन और पेट्रोकेमिकल्स विभाग के संयुक्त सचिव, काशी नाथ झा ने कहा कि सरकार ने एकबारगी उपयोग प्लास्टिक के मुद्दे पर स्पष्टता लाने के लिए एक समिति का गठन किया है, जिसका सीधा प्रभाव उपभोक्ता सामान और दवा सहित कई उद्योगों पर पड़ता है।