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भारत में निवेश करने के मामले में सिंगापुर नं.1, इस साल मॉरिशस के मुकाबले आया दोगुना FDI

देश में निवेश के मामले में सिंगापुर ने मारीशस को पीछे छोड़ दिया है। चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीने में भारत में सर्वाधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश(एफडीआई) सिंगापुर से आया।

Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Updated on: December 07, 2015 11:16 IST
भारत में निवेश करने के मामले में सिंगापुर नं.1, इस साल मॉरिशस के मुकाबले आया दोगुना FDI- India TV Paisa
भारत में निवेश करने के मामले में सिंगापुर नं.1, इस साल मॉरिशस के मुकाबले आया दोगुना FDI

नई दिल्‍ली। देश में एफडीआई के मामले में सिंगापुर ने मारीशस को पीछे छोड़ दिया है। चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीने में भारत में सर्वाधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश(एफडीआई) सिंगापुर से आया। डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन (डीआईपीबी) के आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-सितंबर के दौरान भारत ने सिंगापुर से 6.69 अरब डालर (43,096 करोड़ रुपये) का एफडीआई आकर्षित किया। जबकि इस दौरान मॉरिशस से 3.66 अरब डालर का विदेशी निवेश आया।

तीन गुना हुआ सिंगापुर से निवेश

पिछले वर्ष इसी अवधि में सिंगापुर से देश में 2.41 अरब डालर एफडीआई आया था। एक्‍सपर्ट्स के अनुसार सिंगापुर के साथ दोहरी कर बचाव संधि (डीटीएए) में लाभ की सीमा (लिमिट ऑफ बेनिफिट-एलओबी) उपबंध शामिल किया गया है। इससे वहां के विदेशी निवेशकों को भारत में निवेश करना आसान हुआ है। कारपोरेट लॉ फर्म शार्दुल अमरचंद एंड मंगलदास में कर मामलों के प्रमुख तथा एफडीआई विशेषग्य कृष्ण मल्होत्रा ने कहा, निवेशक मारीशस के मुकाबले सिंगापुर को महत्व दे रहे हैं क्योंकि भारत-सिंगापुर संधि में एलओबी अनुबंध निश्चितता उपलब्ध कराता है।

कंप्‍यूटर सॉफ्टवेयर में आया सर्वाधिक निवेश

चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीने में सिंगापुर से आया एफडीआई वित्त वर्ष 2013-14 के कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (5.98 अरब डालर) से भी अधिक है। भारत ने 2014-15 के दौरान 6.74 अरब डालर निवेश आकर्षित किया। भारत को अप्रैल 2000 से सितंबर 2015 के दौरान प्राप्त कुल एफडीआई में सिंगापुर का योगदान 15 प्रतिशत रहा है। हालांकि मॉरिशस का योगदान इसी अवधि में 34 प्रतिशत रहा। जिन क्षेत्रों में अप्रैल-सितंबर 2015 के दौरान अत्यधिक विदेशी निवेश आये, उसमें कंप्यूटर सॉफ्टवेयर तथा हार्डवेयर (3.05 अरब डालर), कारोबार (2.30 अरब डालर), सर्विस एवं ऑटो (दोनों में 1.46-1.46 अरब डालर) तथा दूरसंचार (65.9 करोड़ डालर) शामिल हैं।

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