नई दिल्ली। रेल बजट से ठीक पहले इंडस्ट्री ने रेल यात्री किराया बढ़ाने की मांग की है। एसोचैम ने रेल मंत्री सुरेश प्रभु से राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाते हुए किराए बढ़ाने को कहा। एसोचैम ने कहा कि यात्री किराए को मालभाड़े की कीमत पर निचले स्तर पर रखा जाता रहा है। हालांकि, यात्री ऐसा नहीं चाहते हैं। वे चाहते हैं कि किराया बढ़ोतरी के साथ उन्हें बेहतर सुविधाएं भी मिलें। मसलन ट्रेन समय पर आएं, स्टेशनों पर साफसफाई और सुरक्षा हो और खाने की गुणवत्ता बेहतर हो।
सरकार दिखाए राजनीतिक इच्छाशक्ति
इंडस्ट्री बॉडी एसोचैम ने रेल मंत्री को दिए ग्यापन में कहा, यात्री किराया बढ़ाने को लेकर राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव रहा है। हर बजट में सरकार मालभाड़े को बढ़ा देती है। लेकिन, रेलवे की खराब हालत के बावजूद यात्री किराए में बढ़ोतरी नहीं करती है। एसोचैम ने कहा कि किराए में बढ़ोतरी से यात्री ट्रैफिक पर होने वाले नुकसान में कमी की जा सकेगी। रेलवे को यात्री ट्रैफिक से होने वाला नुकसान वित्त वर्ष में 95 फीसदी तक पहुंच गया, जबकि 1975 में यह 72 फीसदी था।
भारतीय रेल से जुड़े कुछ Facts
Indian Rail
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माल ढुलाई किराया ज्यादा होने से घटा रेलवे का मार्केट शेयर
अधिक किराए की वजह से माल ढुलाई मार्केट में रेलवे का शेयर लगातार गिर रहा है। 1950-51 में कुल माल ढुलाई में रेलवे की हिस्सेदारी 89 फीसदी थी, जो 2007-08 में घटकर 36 फीसदी रह गई। वर्तमान में, भारतीय रेल की 65 फीसदी आय माल ढुलाई से होती है। वहीं यात्रियों से सिर्फ 25 फीसदी रेलवे कमाई करती है। एसोचैम ने रेल मंत्री को रेलवे स्टेशनों के आधुनिकीकरण के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल में तेजी लाने को कहा है।