नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल में की गई घोषणा के अनुरूप केंद्र सरकार ने पोत परिवहन मंत्रालय का नाम बदलकर बंदरगाह, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय कर दिया है। मंत्रिमंडल सचिवालय की अधिसूचना के मुताबिक इस मंत्रालय के तहत पोत परिवहन और नौवहन, समुद्री व्यापार के लिए शिक्षण एवं प्रशिक्षण, प्रकाशस्तंभ और प्रकाशपोत, बंदरगाहों, पोत परिवहन और नौवहन का प्रशासन काम करेगा। इसमें राष्ट्रीय जलमार्गों के जरिए यात्रियों एवं माल की आवाजाही भी शामिल है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा हस्ताक्षरित अधिसूचना में कहा गया है कि यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 77 के खंड (3) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करके और भारत सरकार (कार्य का आवंटन) नियम, 1961 में संशोधन करके लिया गया था। विभिन्न स्वायत्त निकाय जैसे मुंबई, कोलकाता और अन्य बंदरगाह न्यास, भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण और भारत के पोत परिवहन निगम भी मंत्रालय के अंतर्गत आएंगे।
पीएम मोदी ने रविवार को गुजारत के घोघा और हजीरा के बीच रोपैक्स फेरी सेवा के शुभारंभ के मौके पर कहा था कि पोत परिवहन मंत्रालय का विस्तार किया जा रहा है और अब इसका नाम बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय होगा।
ओवीएल ने सेनेगल ब्लॉक में एफएआर लिमिटेड की हिस्सेदारी 4.5 करोड़ डॉलर में हासिल की
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी तेल और प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड (ओएनजीसी) की विदेश शाखा ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (ओवीएल) ने बुधवार को बताया कि उसने सेनेगल ब्लॉक में संगोमर तेल परियोजना में ऑस्ट्रेलियाई कंपनी एफएआर लिमिटेड की हिस्सेदारी 4.5 करोड़ डॉलर में अधिग्रहित की है। ओवीएल ने एक बयान में कहा कि उसने एफएआर लिमिटेड के पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी एफएआर सेनेगल आरएसएसडी एसए के साथ एक समझौता किया है, जिसके तहत उसे उत्खनन क्षेत्र (संगोमर फील्ड) में 13.66 प्रतिशत भागीदारी हिस्सेदारी हासिल होगी।
इसके अलावा रूफिस्क, संगोमार ऑफशोर और संगोमार डीप ऑफशोर (आरएसएसडी) ब्लॉक, ऑफशोर सेनेगल के अन्य ठेका क्षेत्र (उत्खनन क्षेत्र) में 15 प्रतिशत भागीदारी हिस्सेदारी भी मिलेगी। आरएसएसडी ब्लॉक में अन्य हिस्सेदार वुडसाइड एनर्जी (सेनेगल) बीवी (वुडसाइड), कैप्रीकॉर्न सेनेगल लिमिटेड (केयर्न्स) और ली सोसाइटी देस पेट्रोल्स डू सेनेगल (पेट्रोसेन - सेनेगल की राष्ट्रीय तेल कंपनी) हैं। बयान में कहा गया कि इस अधिग्रहण के लिए नियामक मंजूरी सहित अन्य जरूरी मंजूरियां मिलनी बाकी हैं।