नई दिल्ली। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के तहत कार्य करने वाला गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO) लोन डिफॉल्टर्स के फंड ट्रांसफर मामलों की जांच कर रहा है और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ उचित कार्रवाई करेगा। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) के 90 प्रतिशत मामले या तो गलत कारोबारी निर्णय या वैश्विक आर्थिक मंदी की वजह से बने हैं, बचे 10 प्रतिशत मामलों की जांच किए जाने किए जाने की जरूरत है और CBI एवं SFIO समेत कई जांच एजेंसियां इनकी जांच कर रही हैं।
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अधिकारी ने कहा कि जिन मामलों में फंड ट्रांसफर का संदेह है, SFIO उनकी जांच कर रहा है और जहां उसे जरूरत पड़ रही है वह बैंकों और वित्तीय सेवा विभाग से जानकारियां भी जुटा रहा है। किसी कंपनी का नाम लिए बगैर अधिकारी ने कहा कि SFIO की जांच के दायरे में इस्पात और बुनियादी ढांचा क्षेत्र की कुछ कंपनियां हैं। यदि जांच में कुछ गलत पाया जाता है जो संबंधित कंपनियों के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी जाएगी क्योंकि SFIO केवल एक जांच एजेंसी है और यह कारपोरेट मंत्रालय की मंजूरी के बाद ही किसी के खिलाफ मुकदमा चला सकती है।
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