नई दिल्ली। वाणिज्य मंत्रालय एक ऐसे प्रस्ताव पर काम कर रहा है जिसके तहत विशेष आर्थकि क्षेत्र (सेज) की इकाइयों को अपने उत्पाद इस कर-मुक्त क्षेत्र के बाहर रियायती शुल्क दरों पर बेचने की अनुमति दी जाएगी। सेज को व्यापार परिचालन के लिए एक विदेशी क्षेत्र के रूप में लिया जाता है और इसमें शुल्क दरें मुख्य रूप से निर्यात उद्देश्य से तय की जाती हैं। हालांकि, सेज इकाई से वस्तुओं की आपूर्ति डीटीए (घरेलू दर क्षेत्र या सेज के बाहर) खरीदार को की जा सकती है। पर इसके लिए उचित सीमा शुल्क का भुगतान करना होगा क्योंकि इन क्षेत्रों से आने वाले उत्पादों को देश में आयात के रूप में माना जाता है।
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सेज इकाइयों की मांग है कि उन्हें डीटीए में उन्हीं शर्तों के तहत वस्तुओं की बिक्री करने की अनुमति दी जाए, जो भारत द्वारा विभिन्न देशों के साथ किए गए मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के तहत लागू होती हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो सेज इकाइयां चाहती हैं कि एफटीए के तहत निचले या शून्य शुल्क का लाभ घरेलू बाजारों में बेचे जाने वाले उनके उत्पादों पर दिया जाए।
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भारत ने कई देशों-जापान, मलेशिया, आसियान (दस देशों का दक्षिण पूर्व एशियाई ब्लॉक) और दक्षिण कोरिया के साथ मुक्त व्यापार करार पर दस्तखत किए हैं।