नई दिल्ली। भारत 2032 तक 10 लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी बनना चाहता है। दूसरे शब्दों में इसे कहें तो भारत 16 सालों में वहां पहुंचना चाहता है, जहां आज चीन खड़ा है। यह एक उल्लेखनीय लक्ष्य है और इसे हासिल भी किया जा सकता है, विशेषकर तब जब भारत की इकोनॉमी पिछले 16 साल में 4.6 गुना बढ़ चुकी हो। 2001 में भारत की इकोनॉमी 494 अरब डॉलर थी, जिसके इस साल के अंत तक 2.2 लाख करोड़ डॉलर होने का अनुमान है। वर्ल्ड बैंक के मुताबिक वर्तमान में चीन की इकोनॉमी 10 लाख करोड़ डॉलर से अधिक की है, जबकि अमेरिका की इकोनॉमी 17 लाख करोड़ डॉलर मूल्य की है।
पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि उनका सपना है भारत को 20 लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी बनाना, लेकिन इसके लिए उन्होंने कोई समय सीमा का उल्लेख नहीं किया था। अब नीति आयोग ने 2032 तक भारत को 10 लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी बनाने का एक रोडमैप तैयार किया है। पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री मोदी को दिए गए प्रजेंटेशन में नीति आयोग ने कहा है कि 2032 तक भारत 10 लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी बन सकता है, यदि इसकी ग्रोथ रेट इसी साल से 7 फीसदी से बढ़कर 10 फीसदी हो जाए।
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नीति आयोग ने 10 फीसदी ग्रोथ रेट को सुनिश्चित करने के लिए सात ऐसे प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की है, जहां सरकार को बहुत ज्यादा काम करने की जरूरत है। ये सात क्षेत्र निम्न हैं:
बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर
सत्ता में आने के बाद से नरेंद्र मोदी सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की अड़चनों को दूर करने पर विशेष ध्यान दे रही है। विशेषकर, रोड सेक्टर में 2012 से मंदी का दौर है। अब ये रिकवरी मोड में है और सरकार ने वित्त वर्ष 2016-17 में 2 लाख करोड़ रुपए निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है। नीति आयोग ने अनुमान जताया है कि इस साल 10 हजार किलोमीटर रोड प्रोजेक्ट के पूरा होने से 10 लाख करोड़ डॉलर का लक्ष्य हासिल करने में बहुत अधिक मदद मिलेगी। अन्य सुझाव हैं कि देश के टियर-2 और टियर-3 शहरों और विकासशील 300 शहरी-ग्रामीण क्लस्टर में एयरपोर्ट की सुविधा को बढ़ाया जाए। शहरी-ग्रामीण क्लस्टर में स्मार्ट सिटी की तर्ज पर स्मार्ट गांव का विकास ग्रामीण भारत में आर्थिक गतिविधियों के केंद्र बिंदू के तौर पर किया जाए।
स्किल इंडिया
बेरोजगारी को दूर करने के लिए नई सरकार ने पूरे देश में स्किल डेवलपमेंट कोर्स में सुधार किया है। भारत में बेरोजगारी की दर तकरीबन 10 फीसदी है और नीति आयोग ने सुझाव दिया है कि देश के रोजगार कार्यालयों को नेशनल करियर सर्विस से लिंक किया जाए जो रोजगार उपलब्धता सुनिश्चित करने में मदद करेगा। नेशनल करियर सर्विस पूरे देश में रोजगार चाहने वाले और रोजगार देने वालों को एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराएगा।
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मेडीकल टूरिज्म और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
नीति आयोग ने यह भी सुझाव दिया है कि मेडीकल टूरिज्म से देश में इकोनॉमिक ग्रोथ को अच्छा बूस्ट मिल सकता है। सीआईआई और ग्रांट थॉर्टन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत की मेडीकल टूरिज्म इंडस्ट्री वर्तमान में 3 अरब डॉलर की है और 2020 तक यह 8 अरब डॉलर की हो सकती है। आयोग ने यह भी सुझाव दिया है कि दवाओं को सब्सीडाइज्ड रेट पर उपलब्ध कराने वाली योजनाओं का और विस्तार किया जाए। उसने यह भी कहा है कि भारत में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा का अभाव है ऐसे में सरकार एक हायर एजुकेशन फाइनेंशिंग एजेंसी का गठन करे जो गांवों में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के लिए प्राथमिक आधार पर वित्तीय सहायता उपलब्धता को सुनिश्चित करे।
कारोबार का स्वागत
डूइंग बिजनेस इंडेक्स में भारत का स्थान लगातार खराब रहा है और मोदी सरकार इसे सुधारने के लिए खूब प्रयास कर रही है। नीति आयोग ने 1053 पुराने और बेकार कानूनों को खत्म करने का सुझाव दिया है। इसके अलावा प्रोजेक्ट को मंजूरी के लिए एकल खिड़की बनाने का भी प्रस्ताव दिया है। सरकार के प्रोत्साहन के बावजूद अधिकांश कंपनियां भारत में निवेश के लिए इच्छुक नहीं हैं, क्योंकि देश में टैक्स को लेकर कोई स्पष्ट नियामक नहीं है।
कृषि में सुधार
10 लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी बनने के लिए सरकार को अपने कृषि क्षेत्र में भी भारी सुधार करना होगा। इसके लिए आधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोग, एक सिंचाई कोष की स्थापना और अधिक उपज वाले बीजों के उपयोग को प्रोत्साहित करना होगा। इसके अतिरिक्त खाद्यान्न बर्बादी को रोकने के लिए सरकार चार मेगा फूड पार्क और 29 कोल्ड चेन प्रोजेक्ट पर काम कर रही है, जिससे कृषि उत्पादों का संरक्षण सुनिश्चित होगा। मोनसेंटो के साथ विवाद के बाद सरकार आनुवंशिक रूप से कीट-प्रतिरोधी दालों को बाजार के हाथों सौंपने की योजना पर काम कर रही है, ताकि उत्पादन बढ़ाया जा सके और नुकसान की भरपाई की जा सके।
स्वच्छ भारत
नरेंद्र मोदी सरकार ने सबसे पहले स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य शौचालयों का निर्माण कर भारत को स्वच्छ बनाना है। नीति आयोग ने सुझाव दिया है कि देश की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को रेलवे स्टेशन, स्कूल, बस स्टैंड, अस्पताल, धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों पर स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए गोद लेना चाहिए। यह भी सुझाव दिया गया है कि भारत में 50,000 से ज्यादा गांवों में अतिरिक्त कचड़ा प्रबंधन सुविधाओं का निर्माण किया जाना चाहिए।
पर्यावरण अनुकूल बनना
दशकों से भारत बिजली उत्पादन को लेकर संकट में है। पिछले साल देश को पीक समय में 3.6 फीसदी कम बिजली का सामना करना पड़ा था। इस कमी की वजह से मैन्युफैक्चरिंग और इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन पर प्रतिकूल असर पड़ता है। बाद में सरकार ने ऊर्जा दक्ष उत्पाद जैसे एलईडी लैम्प, पंखे और पंप वितरिक करने के कार्यक्रम शुरू किए। अब नीति आयोग ने सुझाव दिया है कि देश को ईंधन दक्षता में सुधार के जरिये अपने बहुत अधिक कोयला आयात और सब्सिडी बिल को कम करना चाहिए। आयोग ने सुझाव दिया है कि वाहनों के लिए कठोर उत्सर्जन नियम बनाए जाएं, ऊर्जा दक्ष इमारतों के निर्माण को इन्सेंटिव दिए जाएं और राख की मात्रा को कम करने के लिए 15 नई कोल वॉशरी का निर्माण किया जाए। इंडस्ट्रियल कोल एश भारत में वायु और जल प्रदूषण का सबसे बड़ा कारक है।
Source: Quartz