इससे कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट में ऑटोमोबाइल कंपनियों के उस आग्रह पर सुनवाई हुई थी, जिसमें कंपनियों ने उनके स्टॉक में रखे 8.2 लाख BS-III मानक वाले वाहनों को बेचने की अनुमति मांगी थी। SIAM की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी ने पीठ से कहा था कि वाहन कंपनियों को BS-III मानक वाले वाहनों के स्टॉक को निकालने के लिए करीब एक साल का समय चाहिए। ज्यादातर स्टॉक सात से आठ महीने में निकल जाएगा।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से अदालत में पेश सोलिसिटर जनरल रणजीत कुमार ने पीठ से कहा था कि BS-IV मानक वाले वाहनों के लिए जो ईंधन चाहिए वह काफी स्वच्छ होता है। इस प्रकार के ईंधन का उत्पादन करने के लिए रिफाइनरी कंपनियों ने 2010 के बाद करीब 30,000 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।
उन्होंने कहा था कि पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण ने भी अधिसूचना को लेकर सरकार के समक्ष विरोध नहीं जताया और उसने पर्यावरण के बारे में भी कोई रिपोर्ट नहीं दी। यह समिति (ईपीसीए) पिछले 20 सालों से है, लेकिन वह सरकार को रिपोर्ट नहीं दे रहे हैं। सोलिसिटर जनरल ने हालांकि, स्पष्ट किया कि वह किसी को दोषी नहीं ठहराना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार यह नहीं कह रही है कि सभी BS-III वाहन सड़कों से हट जाएं। क्योंकि सड़कों पर जितने भी वाहन हैं उनमें ज्यादातर BS-III मानक वाले हैं।