नई दिल्ली। सरकार का लक्ष्य 2022 तक 50 करोड़ लोगों को रोजगार के लिए तैयार करना है। दूसरी ओर देश के सर्विस सेक्टर की ग्रोथ (जो देश में दूसरा सबसे बड़ा रोजगार देने वाला क्षेत्र है) की रफ्तार धीमी पड़ती दिख रही है। यह बात शुक्रवार को पेश किए गए इकोनॉमिक सर्वे 2015-16 में खुद सरकार ने कही है। इकोनॉमिक सर्वे में 2015-16 में सर्विस सेक्टर की ग्रोथ 9.2 फीसदी (स्थिर मूल्यों पर) रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि 2014-15 में इस सेक्टर की ग्रोथ 10.3 फीसदी रही है। ऐसे में सावल उठता है कि सरकार ने युवाओं को नौकरी देने का जो सपना दिखाया है, वह कैसे पूरा हो होगा। देश में कृषि के बाद सर्विस सेक्टर ही दूसरा सबसे बड़ा रोजगार देने वाला क्षेत्र है।
सर्विस सेक्टर पर ग्लोबल मंदी के बादल
इकोनॉमिक सर्वे में बताया गया है कि सर्विस सेक्टर भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ का मुख्य वाहक बना रहा है। लेकिन 2015-16 में इस सेक्टर की ग्रोथ 10.3 से घटकर 9.2 फीसदी रहने की संभावना है। इसकी प्रमुख वजह जन प्रबंधन, रक्षा और अन्य सर्विस में कम विकास है। वर्ष 2015-16 के पहले सात महीनों में सर्विस क्षेत्र में एफडीआई में 74.7 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। हालांकि, ग्लोबल मंदी के कारण अगले कुछ महीनों में भारत के सर्विस निर्यात में गिरावट रहने का अनुमान है। संसद में पेश किए गए इकोनॉमिक सर्वे 2015-16 के मुताबिक वित्त वर्ष 2015-16 में ग्रॉस वैल्यू एडेड ग्रोथ में सर्विस सेक्टर का योगदान लगभग 66.1 फीसदी रहा।
फॉरेन टूरिस्ट्स की संख्या में 4.5 फीसदी की गिरावट
टूरिज्म आर्थिक ग्रोथ का एक प्रमुख इंजन और विभिन्न तरह के रोजगारों को पैदा करने में अहम भूमिका निभाता है। इकोनॉमिक सर्वे के मुताबिक भारत का टूरिज्म ग्रोथ 2015 में विदेशी पर्यटक आगमन (एफटीए) के लिहाज से घटकर 4.5 फीसदी और विदेशी करेंसी की कमाई (एफईई) के लिहाज से घटकर 2.8 फीसदी रह गया, जो वर्ष 2014 में एफटीए के लिहाज से 10.2 फीसदी और एफईई के लिहाज से 9.7 फीसदी था। हालांकि, घरेलू पर्यटन का अब भी इस सेक्टर में अहम योगदान देखा जा रहा है, जिससे इसे आवश्यक गति निरंतर मिल रही है।
ग्रोथ में गिरावट के बावजूद आ रहा है विदेशी निवेश
वर्ष 2014 के दौरान भारत में एफडीआई 34 अरब अमेरिकी डॉलर दर्ज किया गया, जो वर्ष 2013 के मुकाबले 22 फीसदी ज्यादा है। वर्ष 2014-15 और वर्ष 2015-16 (अप्रैल-अक्टूबर) के दौरान आमतौर पर और मुख्यत: सर्विस सेक्टर में एफडीआई के फ्लो में रिमार्केबल ग्रोथ की गई है। वहीं, सर्विसेज ट्रेड में बढ़ोतरी देखने को मिली है। भारत का सर्विस एक्सपोर्ट 2001 के 16.8 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2014 में 155.6 अरब अमेरिकी डॉलर के स्तर पर पहुंच गया, जिसका जीडीपी में 7.5 फीसदी योगदान है। इसके साथ ही भारत विश्व में आठवां सबसे बड़ा सेवा निर्यातक बन गया है।