नई दिल्ली। यूरोपियन यूनियन से ब्रिटेन के बाहर निकलने की खबर के बाद दुनियाभर के बाजारों में हड़कंप मच गया। यूरोपीय बाजार प्रमुख सूचकांक जहां आठ फीसदी तक टूट गए, वहीं जापान निक्केई में 1300 अंक और भारतीय शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स में 1058 अंकों की गिरावट देखने को मिली। इससे निवेशकों की करीब 4,00,000 करोड़ रुपए की पूंजी डूब गई।
असर मुद्रा बाजार पर भी गहरा पड़ा और इतिहास खुद को दोहराने लगे। यूरो में 31 साल बाद डॉलर के मुकाबले 11 फीसदी जैसी तीखी गिरावट आई है। वहीं रुपया डॉलर के मुकाबले 74 पैसे टूटकर 67.99 रुपए के स्तर तक पहुंच गया। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि आने वाले दिनों में मुद्रा बाजार पर इसके और गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं और यूरो 20 फीसदी सरीखी तीखी गिरावट देख सकता है।
सोने की कीमतों को लगे पंखदुनिया भर के बाजारों में अनिश्चितता गहराने से निवेशकों का रुझान सोने की तरफ बढ़ गया है, जिसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना फरवरी के बाद पहली बार 1300 डॉलर प्रति औंस के स्तर को पार कर गया। वहीं भारतीय बाजार में इस तेजी को पढ़ें तो सोने का भाव राष्ट्रीय राजधानी में 1,215 रुपए चढ़कर 30,885 रपए प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया, जो 26 महीने का उच्चतम स्तर है।
क्या करें निवेशक
डेस्टीमनी के CEO सुदीप बंदोपाध्याय का मानना है कि निवेशकों को छोटी अवधि के लिए शेयर बाजार से दूर रहना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि ब्रिटेन के एक्जिट का असर पूरी दुनिया के बाजार पर नकारात्मक पड़ेगा। ऐसे में भारत के बाजारों में सकारात्मक रैली का सवाल ही नहीं उठता। ऐसे में निवेशकों को शेयर बाजार में निवेश से पहले सतर्क रहने की जरुरत है।
एक्सपर्ट के नजरिए से समझिए ब्रेक्जिट का मतलब
बाजार विशेषज्ञों, वित्त मंत्री और आरबीआई गवर्नर का कहना है कि ब्रिटेन के ईयू से अलग होने का अल्प अवधि में तो बाजारों पर असर पड़ेगा लेकिन लंबी अवधि के लिए यह बाजार के लिए बेहतर होगा।
वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि
अच्छे विदेशी मुद्रा भंडार के रूप में मौजूदा और मध्यम अवधि के लिए सुरक्षा दीवार तैयार है, सरकार, आरबीआई किसी भी तरह के अल्पकालिक उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए तैयार है।
आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन का कहना है कि
आरबीआई की निगाह मुद्राओं समेत सभी बाजारों पर हैं और जहां जरूरत होगी वहां नकदी मुहैया कराई जाएगी। आरबीआई हर तरह की स्थिति के लिए तैयार है, आवश्यकता पड़ने पर मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप करेगा, अन्य मुद्राओं के मुकाबले रुपए में गिरावट कमतर है।
जेएलआर ने कहा सब सामान्य
जैगुआर लैंड रोवर ने कहा कि सब सामान्य है और वह इस फैसले के दीर्घकालिक असर से निपट लेगी। साथ ही उसने कहा कि उसके और वाहन उद्योग के लिए रातोंरात कोई बदलाव नहीं आएगा। यह ब्रिटेन की कंपनी है और इस देश में इसका मजबूत विनिर्माण आधार है। अन्य कंपनियों की तरह जैगुआर लैंड रोवर भी इस फैसले के दीर्घकालिक असर से निपटेगी।