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सहारा लाइफ को SAT से नहीं मिली राहत, IRDAI के आदेश पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश

सहारा समूह की इस जीवन बीमा कंपनी के कारोबार को ICICI Pru को स्थानांतरित करने के मामले में प्रतिभूति एवं अपीलीय पंचाट (SAT) ने यथास्थिति बनाए रखने को कहा है।

Manish Mishra
Published on: August 01, 2017 12:08 IST
सहारा लाइफ को SAT से नहीं मिली राहत, IRDAI के आदेश पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश- India TV Paisa
सहारा लाइफ को SAT से नहीं मिली राहत, IRDAI के आदेश पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश

नई दिल्‍ली। प्रतिभूति एवं अपीलीय पंचाट (SAT) ने सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस के बारे में बीमा नियामक (IRDAI) के उस आदेश पर एक सप्ताह तक यथास्थिति बनाए रखने को कहा जिसमें सहारा समूह की इस जीवन बीमा कंपनी के कारोबार को आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस (ICICI Pru) को स्थानांतरित करने को कहा गया था। सहारा इंडिया लाईफ इंश्योरेंस ने IRDAI के फैसले को SAT में चुनौती दी। SAT ने फैसले पर रोक लगाते हुए मामले की अगली तारीख 7 अगस्त तय की है जब वह याचिका की स्वीकार्यता पर फैसला करेगा।

भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकार (IRDAI) ने पिछले शुक्रवार को आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस से कहा था कि वह सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस के जीवन बीमा कारोबार का अधिग्रहण करे। IRDAI ने ICICI Pru को 31 जुलाई से सहारा के बीमा कारोबार को संभालने को कहा था। सहारा ने इस आदेश के खिलाफ SAT का दरवाजा खटखटाया। न्यायाधीश सीकेजी नायर व न्यायाधीश जोग सिंह की दो सदस्यीय पीठ ने मामले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।

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SAT के फैसले के बाद सहारा समूह ने एक बयान में कहा कि न्यायाधिकरण ने 7 अगस्त को सुनवाई पूरी होने तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। सहारा के अनुसार इसका मतलब है कि आगामी आदेश तक इरडा के आदेश का कार्यान्वयन नहीं किया जा सकेगा। सहारा का आरोप है कि IRDAI का आदेश तीसरे पक्ष को फायदा पहुंचाने के लिए जारी किया गया और यह नैसर्गकि न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले IRDAI ने पिछले शुक्रवार को ICICI Pru से कहा था कि वह सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस के बीमा कारोबार का अधिग्रहण करे। IRDAI ने ICICI Pru को 31 जुलाई से सहारा के बीमा कारोबार को संभालने को कहा था।  सहारा समूह ने IRDAI के आदेश के बाद अपने बयान में कहा कि नियामक गलत तरीके से इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि यह प्रवर्तक (सहारा समूह) बीमा कारोबार के लायक और उपयुक्त नहीं रह गया है और 78 करोड़ रुपए की हेराफेरी की गई है।

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सहारा समूह ने कहा कि सहारा लाइफ 2004 से कारोबार कर रही है और पिछले सात साल से लगातार लाभ कमी रही है। साथ ही सभी नियामकीय नियमों और IRDAI के निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन कर रही है। बयान के अनुसार सहारा लाइफ की संपत्ति उसकी देनदारी से अधिक है और किसी भी पॉलिसीधारक को भुगतान नहीं करने का एक भी मामला नहीं आया है। समूह ने आरोप लगाया, हालांकि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि IRDAI ने सहारा लाइफ के कारोबार को बीमा कंपनी ICICI Pru को सौंपने का फैसला किया।

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