नई दिल्ली। आज सरकार सोवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम का दूसरा चरण शुरू करने जा रही है। इसके तहत निवेशक 22 जनवरी तक पांच ग्राम, 10 ग्राम, 50 ग्राम और 100 ग्राम के गोल्ड बॉन्ड को खरीद सकते हैं। लेकिन, पिछले तीन साल से सोना निवेशकों को निगेटिव रिटर्न दे रहा है। ऐसे सभी निवेशकों के सामने यही सवाल है कि इस समय सोने में निवेश फायदेमंद है या नहीं। एक्सपर्ट्स मानते है कि सोने की कीमतों में इस साल भी गिरावट देखी जा सकती है। फिर भी गोल्ड बॉन्ड में निवेश फायदे का सौदा हो सकता है, क्योंकि सरकार सोने के वास्तविक मूल्य के साथ ब्याज भी देती है। इससे कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव के दौरान निवेशकों का जोखिम भी कम हो जाता है।
निवेश के लिए गोल्ड बॉन्ड बेहतर विकल्प
जियोफिन कॉमट्रेड के डायरेक्टर सीपी कृष्णन ने कहा कि रिटेल निवेशकों के लिए गोल्ड बॉन्ड सबसे अच्छा विकल्प है। उन्होंने कहा कि इसमें निवेश की सुरक्षा सुनिश्चित है। सोना पिछले तीन साल से लगातार निगेटिव रिटर्न दे रहा है ऐसे में गोल्ड बॉन्ड में निवेश किया जा सकता है। हालांकि ब्याज दर कम होने के कारण पहले चरण में सोवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम को ठंडा रिस्पॉन्स मिला था।
एंजेल ब्रोकिंग के एसोसिएट डायरेक्टर (कमोडिटीज और करेंसी) नवीन माथुर ने कहा कि चीन के इक्विटी बाजार में गिरावट और सऊदी अरब में राजनीतिक संकट के कारण हाल के दिनों में सोना महंगा हुआ है। लेकिन, इसके फंडामेंटल में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है। छोटी अवधि में सोने की कीमतों में तेजी देखने को मिल सकती है। इसके बाद 2016 में गिरावट आने की संभावना है। ऐसे में गोल्ड बॉन्ड निवेश के लिए अच्छा टूल है।
नवंबर से सस्ता गोल्ड बॉन्ड बेचेगी सरकार
सोमवार से शुरु होने वाली बिक्री के लिए सरकार ने गोल्ड बॉन्ड की कीमत 2,600 रुपए प्रति ग्राम तय की है। पहले चरण की गोल्ड बॉन्ड स्कीम नवंबर में शुरू की गई थी, उस वक्त कीमत 2,684 रुपए प्रति 10 ग्राम थी। पहले चरण के दौरान सरकार ने 915.95 किलोग्राम सोने पर आधारित 246 करोड़ रुपए मूल्य के बॉन्ड की बिक्री की थी। गोल्ड बॉन्ड 5 ग्राम, 10 ग्राम, 50 ग्राम और 100 ग्राम सोने के आधार पर जारी किए जाते हैं। इनकी परिपक्वता अवधि पांच से सात साल की है। इसमें ब्याज दर (2.75 फीसदी) की गणना निवेश के समय धातु के मूल्य के हिसाब से की जाती है। गोल्ड बॉन्ड स्कीम में कोई भी व्यक्ति सालाना 500 ग्राम तक निवेश कर सकता है।