नई दिल्ली। भारतीय पूंजी बाजार की गहराई बढ़ाने के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने रीट्स के लिए अपने नियमों में व्यापक आधार पर ढील देने का फैसला किया है। वहीं भारत दोबारा आने के इच्छुक फॉरेन फंड मैनेजर्स के लिए अनुपालन के नियमों को भी आसान बनाने की तैयारी है।
सेबी के निदेशक मंडल की अगले सप्ताह होने वाली बैठक में नियामक रीयल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (रीट्स) को अधिक आकर्षक बनाने पर विचार करेगा। इसके तहत निवेशकों को कोष का एक बड़ा हिस्सा निर्माणाधीन परिसंपत्तियों में करने की अनुमति दी जा सकती है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसके अलावा रीट्स को अधिक संख्या में प्रायोजकों की अनुमति दी जा सकती है। साथ ही सार्वजनिक पेशकश के न्यूनतम आकार और संबंधित पक्ष लेनदेन से संबंधित नियमनों में भी ढील दी जा सकती है।
दोबारा भारत आने की इच्छा रखने वाले विदेशी कोष प्रबंधकों के लिए सेबी बोर्ड उन्हें आसान नियामकीय व्यवस्था के तहत पोर्टफोलियो प्रबंधक के रूप में काम करने की अनुमति दे सकता है। इस कदम से ऐसी इकाइयों के लिए भारत में परिचालन करना सुगम होगा। इसके अलावा सेबी के पास पंजीकृत मौजूदा पोर्टफोलियो प्रबंधक को भी पात्र कोष प्रबंधक (ईएफएम) के रूप में काम करने की अनुमति होगी। इसके लिए सेबी से पूर्व अनुमति लेनी होगी और कुछ शर्तों को पूरा करना होगा। नियामक इस बैठक में बोर्ड के समक्ष अपना वित्त वर्ष 2015-16 का वार्षिक खाता भी रखेगा।