नई दिल्ली। पूंजी बाजार नियामक सेबी ने सूचीबद्ध कंपनियों के लिए उनके समय पर कर्ज नहीं चुका पाने की जानकारी देने संबंधी नियमों को सख्त बना दिया है। इसके तहत कंपनियों को बैंक या वित्तीय संस्थानों को मूलधन या ब्याज की रकम के भुगतान में 30 दिन से ज्यादा देरी करने पर 24 घंटे के भीतर इस चूक से जुड़ी जानकारी देनी होगी।
भारतीय प्रतिभूति और विनियामक बोर्ड (सेबी) के निदेशक मंडल ने अपनी बैठक में कर्ज भुगतान में असफल रहने के मामले में खुलासा नियमों को सख्त करने के फैसले को मंजूरी दी थी। नियामक ने गुरुवार को इस संबंध में परिपत्र जारी किया है।
सेबी ने परिपत्र में कहा कि यह फैसला सूचीबद्ध कंपनियों के समय पर कर्ज किस्त का भुगतान नहीं कर पाने से जुड़ी जानकारी नहीं मिल पाने की कमी को दूर करने के लिए लिया गया है। नियामक ने कहा कि ब्याज या मूलधन चुकाने में देरी होती है और यह सब 30 दिन के बाद भी जारी रहता है तो 30वें दिन के बाद 24 घंटे के अंदर सूचीबद्ध कंपनियों को शेयर बाजार में इसका खुलासा करना होगा।
सेबी ने कहा कि असूचीबद्ध बांड के मामले में कंपनी को देनदारी पूरी नहीं कर पाने वाले दिन से 24 घंटे के अंदर खुलासा करना होगा। नया नियम एक जनवरी, 2020 से लागू होगा। उल्लेखनीय है कि आईएलएंडएफएस समेत कई कंपनियों द्वारा समय पर कर्ज का भुगतान नहीं कर पाने जैसी कई घटनाएं सामने आई हैं। कई मामलों में सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा कर्ज चुकाने में देरी की जानकारी निवेशकों तक काफी देरी से पहुंची है।