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सहारा के निवेशकों को Sebi ने लौटाए 129 करोड़ रुपये, बैंक खाते में पड़े 23000 करोड़ रुपये के लिए नहीं है कोई दावेदार

सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त, 2012 को सुनाए अपने फैसले में सहारा समूह की दोनों कंपनियों को निवेशकों से जुटाए गए धन को 15 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाने का आदेश दिया था।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: August 05, 2021 19:09 IST
Sebi's refund to Sahara investors Rs 129 crore- India TV Paisa
Photo:PTI

Sebi's refund to Sahara investors Rs 129 crore

नई दिल्‍ली। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए पूंजी बाजार नियामक सेबी (Sebi) ने सहारा की दो कंपनियों के निवेशकों को नौ वर्षों में लगभग 129 करोड़ रुपये वापस किए हैं। सेबी द्वारा दी जानकारी के मुताबिक पुनर्भुगतान के लिए विशेष रूप से खोले गए बैंक खातों में जमा राशि बढ़कर 23,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2012 के अपने एक आदेश में सहारा की दो कंपनियों के लगभग तीन करोड़ निवेशकों को ब्याज सहित धन वापस करने के लिए कहा था, लेकिन बड़ी संख्या में बॉन्ड धारकों द्वारा दावा नहीं करने के चलते सेबी ने पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में सिर्फ 14 करोड़ रुपये ही वापस किए थे, जबकि उस साल सेबी-सहारा वापसी खाते में शेष राशि बढ़कर 1,400 करोड़ रुपये हो गई थी।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अपनी ताजा वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि उसे 31 मार्च 2021 तक 19,616 आवेदन मिले, जिसमें लगभग 81.6 करोड़ रुपये के धन वापसी के दावे थे। सेबी ने बताया कि उसने 16,909 मामलों में (129 करोड़ रुपये, जिसमें 66.35 करोड़ रुपये मूलधन और 62.34 करोड़ रुपये ब्याज शामिल है) रिफंड जारी किए हैं, जबकि 483 आवेदनों में कमियों को दूर करने के लिए निवेशकों को वापस भेज दिया गया है। नियामक ने कहा कि सात आवेदन विवादित श्रेणी में रखे गए हैं, सहारा के पास 332 आवेदन लंबित हैं, 122 आवेदन सेबी के पास लंबित हैं और 2,487 मामले निवेशकों से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने और रिकॉर्ड नहीं होने के चलते बंद कर दिए गए हैं। 

सेबी के इन ताजा आंकड़ों पर सहारा ग्रुप ने कहा कि उसके अपने अनुमान के मुताबिक सहारा-सेबी खाते में जमा धन लगभग 25,000 करोड़ रुपये है। समूह ने आरोप लगाया है कि उसने बिना किसी उचित कारण के सहारा और उसके निवेशकों के 25,000 करोड़ रुपये को रोक रखा है।

सहारा ने अपने बयान में कहा कि पिछले कई सालों से सेबी अखबारों में विज्ञापन देकर रिफंड दावों को आमंत्रित कर रहा है। अपने अंतिम विज्ञापन में सेबी ने कहा था कि वह जुलाई, 2018 के बाद प्राप्‍त आवेदनों पर विचार नहीं करेगी। इसका मतलब है कि सेबी ने कोई नए दावों का भुगतान नहीं किया है और सहारा की 25,000 करोड़ रुपये की राशि को सेबी द्वारा अनाधिकृत तरीके से अपने कब्‍जे में रखा गया है, जिसे सहारा को तुरंत लौटाया जाना चाहिए। सहारा ने नौ साल पहले ही अपने 3 करोड़ निवेशकों की सारी जानकारी सेबी को उपलब्‍ध करा दी थी।

समूह ने आगे कहा कि सहारा द्वारा जमा कराए गए धन को सेबी द्वारा रोकना "दुर्भाग्यपूर्ण और अस्वीकार्य" है। समूह ने आगे कहा कि यह बड़ी राशि बैंकों में बेकार पड़ी है, जो न केवल एक व्यापारिक संगठन के रूप में सहारा के हितों को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि हमारे देश के आर्थिक विकास को भी बाधित कर रही है, विशेष रूप से आर्थिक मंदी के इस कठिन समय में।

सेबी ने सहारा इंडिया रियल एस्‍टेट कॉरपोरशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इनवेस्‍टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड को 2011 में निवेशकों से जुटाए गए धन को वापस करने का आदेश दिया था। इन दोनों कंपनियों ने ऑप्‍शनली फुली कन्‍वर्टिबली बॉन्‍ड के रूप में यह धन जुटाया था, जिसे सेबी ने अपने नियमों के विरुद्ध पाया था। लंबी बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्‍त, 2012 को सुनाए अपने फैसले में सहारा समूह की दोनों कंपनियों को निवेशकों से जुटाए गए धन को 15 प्रतिशत ब्‍याज के साथ लौटाने का आदेश दिया था।

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