नई दिल्ली। कंपनियों की ओर से अतिरिक्त नकदी के बावजूद शेयरधारकों को लाभांश भुगतान से इनकार किए जाने से जुड़ी शिकायतों के मद्देनजर बाजार नियामक सेबी ने शीर्ष 500 सूचीबद्ध कंपनियों के लिए लाभांश वितरण नीति को अनिवार्य बना दिया है। नए मानदंड कंपनियों को लाभांश भुगतान के लिए बाध्य नहीं करेंगे लेकिन इससे निवेशकों को ऐसी सूचीबद्ध कंपनियों में अपने निवेश के मुनाफे से स्पष्ट तस्वीर प्राप्त करने में मदद मिलेगी और उन्हें अपने निवेश उद्देश्यों के अनुरूप शेयरों की पहचान करने में भी मदद मिलेगी।
नए नियमों को अधिसूचित करते हुए नियामक ने कहा कि कंपनियों को ऐसी परिस्थितियों की सूची बनानी होगी, जिनके तहत शेयरधारक लाभांश की उम्मीद कर सकते हैं या नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा इस नीति के लिए ऐसे वित्तीय मानक और आंतरिक एवं वाह्य कारकों का भी जिक्र करना होगा, जिनका लाभांश घोषणा में ध्यान रखा जाएगा। इस नीति के तहत कंपनियों को शेयरधारकों को यह बताना होगा कि वे अतिरिक्त लाभ का उपयोग कैसे करना चाहते हैं और विभिन्न वर्ग के शेयरों के संबंध में कैसे मानक अपनाना चाहते हैं। कंपनियों को इस नीति का खुलासा अपनी सालाना रिपोर्ट में और अपनी वेबसाइट पर करना होगा।
शुरुआत में बाजार पूंजीकरण के लिहाज से (हर वित्त वर्ष के 31 मार्च तक) शीर्ष 500 कंपनियों को लाभांश वितरण नीति बनाने की जरूरत होगी, जबकि बाद में यह नियम अन्य कंपनियों पर भी लागू होगा। सेबी ने कहा, शीर्ष 500 सूचीबद्ध कंपनियों के अलावा अन्य इकाइयां बाजार पूंजीकरण के आधार पर अपनी सालाना रिपोर्ट और अपनी वेबसाइट्स पर स्वैच्छिक आधार पर लाभांश वितरण नीतियों की घोषणा कर सकती हैं।