नयी दिल्ली। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कंपनी संचालन व्यवहारों और सूचनाओं के खुलासे की व्यवस्था को मजबूत करने उद्देश्य से कुछ नये नियम अधिसूचित किये हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि शीर्ष 1,000 सूचीबद्ध कंपनियों को अनिवार्य रूप से अपनी लाभांश वितरण नीति बनानी होगी। सेबी द्वारा पांच मई को जारी अधिसूचना में उसने प्रयोज्यता, संविधान और जोखिम प्रबंधन समिति की भूमिका और सार्वजनिक शेयरधारक के रूप में एक प्रमोटर के पुन: वर्गीकरण को आसान बनाने के लिए नई नीति तैयार की है। उसने विश्लेषक और निवेशक की बैठकों की ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग कंपनी की वेबसाइट पर उपलब्ध कराने के लिए भी कहा है।
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यह रिकार्डिंग कंपनी को अगले कारोबारी दिवस अथवा 24 घंटे के भीतर शेयर बाजारों को भी उपलब्ध करानी होगी। उसने व्यावसायिक जिम्मेदारी और निरंतरता रिपोर्ट के बारे में भी नियम अधिसूचित किये है। सेबी ने दरसल सूचीबद्धता और प्रकटीकरण आवश्यकता नियमों में संशोधन किया है। यह नए नियम पांच मई से प्रभावी हो गए हैं। अधिसूचना में सेबी ने कहा है कि बाजार पूंजीकरण के लिहाज से शीर्ष 1,000 सूचीबद्ध कंपनियों के लिए लाभांश वितरण नीति बनाना अनिवार्य होगा। इससे पहले शीर्ष 500 कंपनियों के लिए यह नियम लागू था।
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सेबी ने कहा है कि अन्य सूचीबद्ध कंपनियां स्वैच्छिक आधार पर अपनी लाभांश वितरण नीति को अपनी वेबसाइट पर डाल सकती है अथवा उसके लिये वार्षिक रिपोर्ट में वेब- लिंक उपलब्ध करा सकती हैं। इसके साथ ही जोखिम प्रबंधन समिति (आरएमसी) गठित करने की आवश्यकता को भी मौजूदा शीर्ष 500 सूचीबद्ध कंपनियों से बढ़ाकर बाजार पूंजीकरण के लिहाज से शीर्ष 1,000 कंपनियों के लिये अनिवार्य कर दिया गया है। आरएमसी में कम से कम तीन सदस्य होंगे जिनमें कम से कम एक स्वतंत्र निदेशक होगा और जयादातर सदस्य निदेशक मंडल के निदेशक होंगे। अधिसूचना में और भी कई तरह के बदलवों का उल्लेख किया गया है।