मुंबई। सेबी के निवर्तमान प्रमुख यू के सिन्हा ने कहा कि पूंजी बाजार की विश्वसनीयता के लिए खतरा पैदा करने वालों के खिलाफ नियामक की सख्ती बिल्कुल उचित है और उन्हें इस पर किसी प्रकार की संकोच या शर्मिंदगी नहीं है। सिन्हा ने यह भी कहा कि सेबी पहली प्राथमिकता निवेशकों के हितों की रक्षा है, बाजार के विकास की बात उसके बाद आती है। उनका छह साल का लंबा कार्यकाल एक मार्च को समाप्त हो रहा है। वह इतनी लंबी सेवा देने वाले सेबी के दूसरे चेयरमैन हैं। उन्होंने पहले वित्त मंत्रालय में भी कम किया था।
पूर्व आईएएस अधिकारी सिन्हा ने कहा कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) का काम हर किसी के साथ एक जैसा व्यवहार करना और साथ ही प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है। अपने कार्यकाल के दौरान विभिन्न पहल का जिक्र करते हुए सिन्हा ने सेबी चेयरमैन के रूप में अपने अंतिम संवाददाता सम्मेलन में कहा कि नियामक ने बाजार को साफ करने के लिये काफी मेहनत की है। उन्होंने कहा कि बाजार में हेराफेरी के सभी संभावित रास्तों को बंद कर दिया गया है जिसमें बंंद पड़े क्षेत्रीय स्टॉक एक्सचेंज भी शामिल हैं।
- उन्होंने कहा, हमने 345 सूचीबद्ध कंपनियों को गैर-सूचीबद्ध किया और 2,000 से अधिक कंपनियों को सूचना सार्वजनिक करने की प्रणाली के दायरे में लाया गया।
- सिन्हा ने कहा, मैंने टिप्पणी पढ़ी है और मैं इन टिप्पणियों से अवगत हूं कि इस दौरान सेबी का रूख काफी कड़ा रहा है।
- निश्चित रूप से यह ऐसा रहा भी है। पर मुझे नहीं लगता कि हमें यह कहने में किसी तरह का संकोच या शर्मिंदगी है।
- उन्होंने कहा, जहां कहीं भी हमने गड़बड़ी पायी, हमने कार्रवाई की।
- मुझे भरोसा है कि इससे न केवल घरेलू निवेशकों बल्कि एफपीआई के लिये भी स्थिति संतोषजनक हुई।