नई दिल्ली। बाजार नियामक सेबी की एक शुरुआती जांच में आईसीआईसीआई बैंक व उसकी मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) चंदा कोचर के खिलाफ अपने पति व वीडियोकॉन समूह के बीच कारोबारी लेनदेन में ‘हितों के टकराव’ के संबंध में सूचीबद्ध कंपनियों के लिए सूचना सार्वजनिक करने के नियमों के उल्लंघन के आरोप में न्यायिक निर्णय की कार्रवाई किए जाने (न्यायिक प्रक्रिया शुरू करने) का समर्थन किया गया है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि इस तरह की कमियों के लिए आईसीआईसीआई बैंक पर संबद्ध नियमों के तहत 25 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लग सकता है। वहीं चंदा पर एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना लग सकता है।
अधिकारी ने कहा इस मामले में सेबी द्वारा आईसीआईसीआई बैंक, चंदा कोचर और अन्य को जारी कारण बताओ नोटिस के जवाब की समीक्षा के बाद न्यायिक प्रक्रिया की औपचारिक शुरुआत जल्द ही होगी।
आईसीआईसीआई बैंक के एक प्रवक्ता ने कहा कि बैंक और उसके प्रबंध निदेशक को कारण बताओ नोटिस मिला है, जिसमें पूछा गया है कि क्यों ना उनके खिलाफ प्रतिभूति अनुबंध (नियमन) नियमों के तहत जांच की जाए।
प्रवक्ता ने कहा कि जिन दस्तावेजों के आधार पर नोटिस भेजा गया है वे सोमवार को मिल गए। कानूनी सलाह के बाद कारण बताओ नोटिस का निर्धारित समयसीमा में जवाब दिया जाएगा।
सेबी के जांच के साथ साथ आईसीआईसीआई बैंक ने एक ‘स्वतंत्र जांच’ की भी घोषणा की है और चंदा कोचर जांच पूरी होने तक अवकाश पर चली गई हैं। बैंक का कहना है कि उसके बोर्ड को चंदा कोचर पर पूरा भरोसा है।
नियामकीय सूत्रों ने बताया कि सेबी की शुरुआती जांच के निष्कर्ष इस मामले में नियामक की पूछताछ पर आधारित है। रिपोर्ट के अनुसार, चंदा ने स्वीकार किया है कि उनके पति दीपक कोचर के बीते कई साल में वीडियोकॉन के साथ अनेक कारोबारी लेन देन हुए हैं।
इसके अलावा उन्होंने यह भी स्वीकार किया है कि दीपक कोचर और वेणुगोपाल धूत कंपनी न्यूपावर के सह संस्थापक व प्रवर्तक हैं। शुरुआती रिपोर्ट के आधार पर सेबी का निष्कर्ष है कि वीडियोकॉन के साथ आईसीआईसीआई बैंक के लेनदेन में ‘हितों के टकराव’ का मामला है। अधिकारी ने कहा कि सेबी ने आईसीआईसीआई बैंक व चंदा के खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया की सिफारिश की है।
उल्लेखनीय है कि बैंक ने 2012 में वीडियोकॉन ग्रुप को 3250 करोड़ रुपए का कर्ज दिया। इस कर्ज तथा इस कर्ज के पुनर्गठन में चंदा के पारिवारिक सदस्यों की संलिप्तता सवाल के घेरे में हे।