Thursday, November 21, 2024
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सुब्रत रॉय सहारा को लगा झटका, सेबी अदालत ने बांड बिक्री मामले में बरी करने वाली याचिका की खारिज

इस मामले में रॉय के अलावा सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन और सहारा इंडिया रीयल एस्टेट तथा उनके तीन निदेशकों को आरोपी बनाया गया है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: November 22, 2019 18:31 IST
Court rejects Sahara chief's plea seeking discharge from bonds sale case- India TV Paisa
Photo:COURT REJECTS SAHARA CHIE

Court rejects Sahara chief's plea seeking discharge from bonds sale case

नई दिल्‍ली। सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय को प्रतिभूति नियमों का उल्लंघन कर बांड बिक्री करने के मामले में अदालत से राहत नहीं मिल पाई है। यहां की एक विशेष अदालत ने सहारा प्रमुख और तीन अन्य की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें बांड बिक्री मामले में बरी करने की अपील की गई थी।

अदालत ने उनकी याचिका को इस माह की शुरुआत में खारिज करते हुए कहा कि आरोपियों के खिलाफ मामला चलाने के लिए रिकॉर्ड में पर्याप्त दस्तावेज हैं। न्यायाधीश एम एम उमर ने अपने आदेश में कहा कि दस्तावेजी प्रमाणों के आधार पर मेरी राय है कि आरोपियों ने प्रथम दृष्टया ऐसा मामला पेश नहीं किया है, जिसमें उन्हें बरी किया जा सके।

इस मामले में रॉय के अलावा सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन और सहारा इंडिया रीयल एस्टेट तथा उनके तीन निदेशकों को आरोपी बनाया गया है। रॉय और तीनों निदेशकों ने अदालत में याचिका दायर कर उन्हें इस मामले में बरी करने की अपील की थी। यह मामला कंपनियों द्वारा जारी किए गए वैकल्पिक पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचरों (ओएफसीडी) से जुड़ा है।

सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन ने कंपनी कानून के संबंधित प्रावधानों के तहत प्रस्ताव पारित कर निजी नियोजन के आधार पर मित्रों, सहयोगियों, समूह की कंपनियों, कर्मचारियों और सहारा समूह की अन्य संबद्ध इकाइयों को बिना गारंटी वाले ओएफसीडी जारी कर कोष जुटाने की मंजूरी दी थी। आरोप है कि कंपनी ने 75 लाख से अधिक अंशधारकों को ओएफसीडी जारी किए, जो निजी नियोजन के लिए 49 व्यक्तियों की सीमा से अधिक है।

कंपनी कानून के प्रावधानों के तहत निजी नियोजन 50 से कम व्यक्तियों को किया जा सकता है। ऐसे में आरोपी कंपनी द्वारा निजी नियोजन के नाम पर सार्वजनिक निर्गम जारी किया गया। कंपनी द्वारा प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण के समक्ष दायर हलफनामे के अनुसार उसने नवंबर, 2009 से अप्रैल, 2011 के दौरान ओएफसीडी जारी कर 6,380.50 करोड़ रुपए जुटाए। समूह की एक अन्य कंपनी ने भी कथित रूप से दो करोड़ निवेशकों से अप्रैल, 2008 से 2011 के दौरान 19,400 करोड़ रुपए जुटाए।

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