नई दिल्ली। विलफुल डिफॉल्टर्स (जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले) अब शेयर मार्केट से पैसा नहीं जुटा सकेंगे, साथ ही दूसरी लिस्टेड कंपनियों के निदेशक मंडल में भी कोई पद नहीं संभाल सकेंगे। पूंजी बाजार नियामक, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इस संबंध में नियमों में संशोधन किया है।
जानबूझकर चूक करने वालों के लिए धन जुटाने के स्रोतों पर लगाम लगाने के लिए सख्त पहल करते हुए सेबी ने ऐसी कंपनियों को म्यूचुअल फंड और ब्रोकरेज कंपनियां जैसी बाजार की मध्यस्थ संस्थाओं की स्थापना करने पर भी रोक लगाई है। नियमों में संशोधन कर ऐसे डिफॉल्टरों पर किसी अन्य सूचीबद्ध कंपनी का नियंत्रण अपने हाथ में लेने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।
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यूबी समूह के अध्यक्ष विजय माल्या संबंधी विवाद के मद्देनजर सेबी की इस पहल को महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जो बैंकों द्वारा 9,000 करोड़ रुपए के ऋण की वसूली प्रक्रिया के बीच में देश छोड़कर चले गए। माल्या ने हाल ही में यूनाइटेड स्प्रिट्स लिमिटेड के अध्यक्ष एवं निदेशक पद से इस्तीफा दिया है। कंपनी के नए मालिक डियाजियो के साथ समझौता होने के बाद उन्होंने यह पद छोड़ा। हालांकि, वह अन्य कंपनियों के निदेशक मंडल में बने हुए हैं। सेबी के बुधवार से प्रभावी ये नए नियम हर उस व्यक्ति और कंपनी पर लागू होंगे, जिसे रिजर्व बैंक के मानदंड के मुताबिक विलफुल डिफॉल्टर घोषित किया गया है। सेबी ने 25 मई को जारी एक अधिसूचना में कहा कि यदि कंपनी या इसके प्रवर्तक और निदेशक जानबूझकर चूककर्ताओं की सूची में शमिल होते हैं तो सार्वजनिक तौर पर शेयर, ऋण प्रतिभूति या गैर परिवर्तनीय तरजीही शेयर जारी नहीं कर पाएंगे।