नई दिल्ली। आप हॉलिवुड की फिल्मों में अक्सर आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस का कमाल देखते हैं। सारे काम कंप्यूटर और मशीनों से हो रहे होते हैं और एक दिन मशीन दुनिया पर राज करने लगती हैं। ऐसा ही कुछ असल जिंदगी में भी होने की भविष्वाणी की जा रही है। एक कंप्यूटर साइंटिस्ट ने दावा किया है कि तकनीकी और मशीनों के बढ़ते विकास के चलते 30 वर्षों में दुनिया के आधे लोगों की नौकरियां छीन जाएंगी। उन्होंने कहा कि मशीनें हर तरह का काम करने में सक्षम होगी और तब इंसानों के पास कोई काम नहीं होगा।
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस नौकरी के लिए सबसे बड़ा खतरा
एक अंग्रेजी अखबार में छपी एक खबर के मुताबिक साइंटिस्ट मोशे वारदी ने अमेरिकन एसोसिएशन फॉर द एडवांसमेंट ऑफ साइंस से कहा कि हम उस समय की ओर बढ़ रहे हैं, जहां मशीनें इंसानों का हर काम करने को तैयार होंगे। आखिर तब इंसानों के पास काम ही नहीं होगा। वारदी ने कहा कि तकनीक बिना पायलट वाले ड्रोन से भी ज्यादा खतरनाक हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से वैश्विक स्तर पर बेरोजगारी का खतरा 50 फीसदी तक बढ़ सकता है। इससे मध्यम वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित होगा। इस संदर्भ में चीन का भी उदाहरण दिया गया और कहा गया कि फॉक्सकॉन और सैमसंग जैसी इलेक्ट्रॉनिक कंपनियां अब इंसानों का काम रोबोट से करवा रहे हैं।
बिल गेट्स और स्टीफन हाकिंग भी जता चुके हैं चिंता
भौतिक वैज्ञानिक स्टीफन हाकिंग और तकनीक की दुनिया के अरबपति बिल गेट्स भी इस सिलसिले में चिंता जता चुके हैं। हाकिंग ने कहा था, आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस की खोज और रेस से एक दिन दुनिया में इंसानी वजूद खतरे में आ जाएगी। ये हमारे लिए सबसे बड़ा खतरा हैं। चीन में तो इसका असर दिखना भी शुरू हो गया है। चीन तकनीक के मामले में हमेशा से आगे कदम बढ़ाता रहा है। इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद बनाने वाली कंपनी फॉक्सकॉन और सैमसंग उन कंपनियों में से है जो इंसानों को काम से निकाल कर रोबोट को तैनात कर रहे हैं। इस कारण यहां हजारों को नौकरी गंवानी पड़ी है।