नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी कंपनियों को राहत देते हुए सरकार से एजीआर बकाया की मांग को वापस लेने को कहा है। दूरसंचार विभाग ने निजी कंपनियों पर बकाया के आधार पर सरकारी कंपनियों से 4 लाख करोड़ रुपये बकाया की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि उनके निजी कंपनियों पर फैसले को गलत समझा गया है, सरकारी कंपनियों पर ऐसी मांग को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
3 जज की बेंच ने सरकार से जानना चाहा है कि सरकारी कंपनियों से बकाया की मांग क्यों की गई है। कोर्ट ने चेतावनी दी कि इस तरह उनके फैसलों का गलत मतलब निकालकर जारी किए गए आदेश को वापस न लेने पर वो सख्त कदम उठाएंगे। कोर्ट ने पूछा इससे पहले सरकारी कंपनियों से बकाया की मांग क्यो नहीं की गई। दूरसंचार विभाग ने गेल इंडिया से 1.83 लाख करोड़, ऑयल इंडिया से करीब 49 हजार करोड़ रुपये, पावर ग्रिड से 22 हजार करोड़ रुपये की मांग की है। इसके साथ कई अन्य PSU से भी बकाया की मांग की गई है।
इसके साथ ही कोर्ट ने निजी कंपनियों से हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा है कि वो किस तरह अपने बकाए रकम का भुगतान करेंगी। मामले की अगली सुनवाई अगले हफ्ते होगी। वहीं निजी कंपनियों ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब है और वो सरकार द्वारा तय बकाया को चुकाने में असमर्थ हैं।
कोर्ट ने पिछली सुनवाई में दूरसंचार कंपनियों को अपने स्तर पर बकाया का आंकलन करने पर फटकार लगाई थी। सुनवाई के बाद कोर्ट ने इन कंपनियों को ब्याज और जुर्माने के साथ पिछला बकाया का भुगतान करने को कहा था। कोर्ट ने साफ किया कि बकाये के आंकलन के लिए 24 अक्टूबर 2019 को जो फैसला दिया गया था कंपनियों को उसी आधार पर भुगतान करना है। इस आधार पर टेलीकॉम कंपनियों को 1.6 लाख करोड़ रुपये चुकाने हैं। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा वोडाफोन आइडिया का है जिसे 58 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा चुकाने है। कंपनी अब तक करीब 7 हजार करोड़ रुपये भुगतान कर चुकी है। आज कंपनी ने कहा कि उसके पास पैसा नहीं है और राहत नहीं मिली तो उसे कामकाज बंद करना पड़ सकता है।
वहीं भारती एयरटेल पर करीब 44 हजार करोड़ रुपये का बकाया है जिसमें से कंपनी करीब 18 हजार करोड़ रुपये दे चुकी है।