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रैनबैक्सी का लाइसेंस रद्द करने की जनहित याचिका पर कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने रैनबैक्सी पर भारत में कथित रूप से घटिया दवाएं बेचने के आरोप में उसका लाइसेंस रद्द करने की मांग पर सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा है।

Dharmender Chaudhary
Published : April 05, 2016 10:59 IST
रैनबैक्सी का लाइसेंस रद्द करने की जनहित याचिका पर कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
रैनबैक्सी का लाइसेंस रद्द करने की जनहित याचिका पर कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

 नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दवा कंपनी रैनबैक्सी पर भारत में कथित रूप से घटिया दवाएं बेचने के आरोप में उसका लाइसेंस रद्द करने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पर सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति पीसी घोष और अमिताव राय की पीठ ने इससे पहले भी स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को इस याचिका पर नोटिस भेजा था। पीठ ने स्पष्ट किया कि अब जवाब दाखिल करने के लिए उसे और अधिक वक्त नहीं दिया जाएगा।

रैनबैक्सी की दवाईयों की क्वालिटी खराब?

अदालत में इस पर संक्षिप्त सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता वकील एमएल शर्मा ने तर्क दिया कि इस औषधि कंपनी पर अमेरिका के खाद्य एवं औषधि नियामक (यूएसएफडीए) ने मिलावटी दवाओं के विनिर्माण एवं उत्पादन के मामले में 50 करोड़ डॉलर का अर्थ दंड लगाया था। याचिका में यह भी अनुरोध है कि हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और दिल्ली में कंपनी के कारखानों को बंद कराया जाए।

बिना कैसे किसी औषधि को प्रतिबंधित कर सकती है

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि जनहित में औषधि कंपनियों के उत्पादन को रोकने के लिये ड्रग्स एंड कास्मेटिक्स एक्ट के तहत दी गयी शक्तियों की प्रकृति केवल नियामकीय हो सकती है। अदालत ने यह पूछा कि आखिर केंद्र लाइसेंस रद्द किये बिना इस प्रावधान का उपयोग कैसे कर सकता है। न्यायाधीश राजीव सहाय इंडलॉ ने कहा, ऐसा लगता है कि धारा 26ए (जनहित में औषधि एवं कास्मेटिक के विनिर्माण आदि पर रोक को लेकर केंद्र सरकार की शक्तियां) कानून की योजना के तहत केवल नियामकीय शक्ति है। औषधि कंपनियों की 150 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उन्होंने केंद्र से पूछा, अत: जब आपने लाइसेंस दे दिया, एकमात्र शक्ति लाइसेंस रद्द करना है।

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