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सुप्रीम कोर्ट ने लौह अयस्क की ई-नीलामी के खिलाफ याचिका की खारिज, फिमी और वेदांता को लगा झटका

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय खनिज उद्योग महासंघ (फिमी) और वेदांता की कर्नाटक में लौह अयस्क की ई-नीलामी निरस्त करने की याचिका आज खारिज कर दी।

Manish Mishra
Updated on: August 28, 2017 14:12 IST
सुप्रीम कोर्ट ने लौह अयस्क की ई-नीलामी के खिलाफ याचिका की खारिज, फिमी और वेदांता को झटका- India TV Paisa
सुप्रीम कोर्ट ने लौह अयस्क की ई-नीलामी के खिलाफ याचिका की खारिज, फिमी और वेदांता को झटका

नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय खनिज उद्योग महासंघ (फिमी) और वेदांता की कर्नाटक में लौह अयस्क की ई-नीलामी निरस्त करने की याचिका आज खारिज कर दी। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने कहा कि वह इस सुझाव को स्वीकार नहीं करते हैं। पीठ ने कहा कि हम ई-नीलामी के लिये वैकल्पिक उपाय करने के वेदांता के सुझाव को खारिज करते हैं, हम फिमी की याचिका को भी खारिज करते हैं। फिमी ने अपने सुझाव में कहा है कि ई-नीलामी किए जाने के बजाय नई प्रणाली अपनाई जानी चाहिए तथा उत्पादक और खरीदार के बीच दीर्घकालिक समझौता होना चाहिए। केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) ने इस बारे में 28 अप्रैल 2016 को अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया था।

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हालांकि, इससे पहले समाज परिवर्तन समुदाय नामक गैर-सरकारी संगठन ने याचिका का विरोध किया था। संगठन का कहना है कि लौह अयस्‍क की ई-नीलामी का मकसद राज्य सरकार को बेहतर मूल्य और रॉयल्टी उपलब्ध कराना है। सुप्रीम कोर्ट ने 18 अप्रैल 2013 को 3 करोड़ टन सालाना सीमा तय करते हुये बलारी, तुमाकुरू और चित्रदुर्ग जिलों में खनन की मंजूरी दे दी थी।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि खनन केवल ई-नीलामी के जरिए ही होना चाहिये और यह काम केंद्रीय अधिकार संपन्न समिति की निगरानी में होना चाहिए। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने खनन से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचने के लिये भी कई उपायों का आदेश दिया।

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