नई दिल्ली। पांच महीने बाद बाजार में दोबारा लौटी मैगी को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने मैसूर लैब को आदेश दिया है कि 8 हफ्ते में जांच कर मैगी में एमएसजी और लेड की मात्रा पर अपनी रिपोर्ट सौपे। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि युवा पीढ़ी मैगी नूडल्स को अधिक खरीदते हैं, ऐसे में उनकी सुरक्षा के लिए चिंता का विषय है। इसलिए मैगी और टेस्ट से गुजरना पड़ेगा। गौरतलब है कि मैगी की वापसी के बाद फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर कर बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी।
8 हफ्ते रिपोर्ट सौपने का दिया आदेश
एफएसएसएआई की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बाजार में मैगी बच्चों और नौजवानों में खासी लोकप्रिय है। इसलिए सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने मैसूर लैब को आदेश दिया है कि वो अदालत को 8 हफ्ते मे बताए कि दोबारा लिए गए सैंपल में लेड और एमएसजी तय मानक में हैं या नहीं। इस टेस्ट के लिए लैब मैगी के नए सैंपल भी ले सकता है। इस मामले में अगली सुनवाई 4 अप्रैल को होगी।
जांच से संतुष्ट नहीं एफएसएसएआई
एफएसएसएआई ने याचिका में कहा, सैंपल नेस्ले ने ही लैब को दिए जबकि किसी स्वतंत्र एजेंसी को सैंपल लेना चाहिए था। इसके अलावा मान्यता प्राप्त लेब में ही टेस्टिंग होनी चाहिए। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने ‘मैगी’ नूडल्स के सैंपल्स को फिर से जांच के लिए मैसूर की लैब में भेजे जाने का आदेश दिया था और नेस्ले को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।