नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) पर टेलीकॉम कंपनियों द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्टूबर को दिए गए अपने फैसले में भारती एयरेटल और वोडाफोन आइडिया लिमिटेड सहित अन्य सभी टेलीकॉम कंपनियों को 92,000 करोड़ रुपए का सांविधित भुगतान करने का निर्देश दिया था।
दूरसंचार कंपननियों ने एजीआर बकाए पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर जुर्माना व ब्याज शुल्क से माफी की मांग की थी। वोडाफोन आइडिया को एजीआर बकाए के तौर पर 54,000 करोड़ रुपए, जबकि भारतीय एयरटेल को 43,000 करोड़ रुपए का भुगतान करना है। कुल मिलाकर दूरसंचार कंपनियों को सरकार को 1.47 लाख करोड़ रुपए का एजीआर बकाए का भुगतान करना है।
लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) की गणना एजीआर के आधार पर की जाती है। वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल जुर्माना व ब्याज को लेकर निराश है, जिस लेकर उनके अस्तित्व पर सवालिया निशान लग रहे हैं।
एयरटेल के प्रवक्ता ने कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए, हम अपनी निराशा व्यक्त करते हैं क्योंकि हमारा मानना है कि एजीआर परिभाषा के संबंध में लंबे समय से चला आ रहा विवाद प्रमाणिक और वास्तविक था।
उद्योग गंभीर वित्तीय संकट से गुजर रहा है और सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से दूरसंचार उद्योग की व्यवहार्यता पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। उद्योग को नेटवर्क विस्तार, स्पेक्ट्रम लेने और 5जी जैसी नई तकनीकों को पेश करने के लिए निरंतर निवेश करने की जरूरत है। अब हमें दंडात्मक ब्याज, जुर्माना और जुर्माने पर ब्याज के रूप में हमें एजीआर बकाये का लगभग 75 प्रतिशत भुगतान करना है। हम अब एक क्यूरेटिव याचिका दायर करने की संभावना पर विचार कर रहे हैं।