नई दिल्ली। पूर्व सांसदों और विधायकों को मिलने वाली पेंशन और अन्य सुविधाओं पर सुप्रीम कोर्ट (SC) ने सख्त होते हुए केंद्र सरकार से पूछा है कि क्यों न इन सुविधाओं को खत्म कर दिया जाए। जस्टिस जे चेलामेश्वर और एस अब्दुल नजीर ने पूर्व जनप्रतिनिधियों को दिए जाने वाले भत्तों को लेकर गाइडलाइंस बनाए जाने की भी वकालत की। आपको बता दें कि एनजीओ की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति एक दिन के लिए भी सांसद बनता है तो उसे जीवन भर पेंशन का लाभ मिलता है। वहीं, उसके परिवार को भी इस बात का फायदा मिलता है। यह आम व्यक्ति पर बोझ की तरह है।
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केंद्र और चुनाव आयोग से इस मुद्दे पर जवाब मांगा
कोर्ट ने सेवानिवृत्त सांसदों को दी जाने वाली पेंशन और अन्य भत्तों की अनुमति देने वाले कानूनों की संवैधानिक वैधता की जांच पर सहमति जताई और केंद्र तथा चुनाव आयोग से इस मुद्दे पर जवाब मांगा। बेंच ने कहा कि वह इस मामले को विस्तृत रूप से सुनेगी।
इस मामले में लोकसभा और राज्य सभा के सेक्रटरी जनरल्स से जवाब मांगा गया है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि इस बात में कोई नुकसान नहीं है कि पूर्व जन प्रतिनिधियों को कुछ वित्तीय सहायता मुहैया कराई जाए ताकि पद छोड़ने के बाद उन्हें किसी किस्म के अभाव में जिंदगी न बितानी पड़े।
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एनजीओ लोक प्रहरी ने दायर की थी याचिका
एनजीओ लोक प्रहरी के द्वारा दायर की गई याचिका में कहा गया है कि कार्यकाल खत्म होने के बाद भी लगातार पेंशन जारी होना संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन है। वहीं बिना संसद में कानून बनाये सांसदों को लाभ नहीं दिया जा सकता है।
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4 हफ्ते के बाद होगी सुनवाई
जस्टिस जे. चेलामेश्वर और जस्टिस ईएस. अब्दुल नजीर की बेंच अब इस मामले की सुनवाई चार हफ्ते बाद करेगी। सुनवाई में इस मामले को डिटेल में सुना जाएगा।
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