नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (आरकॉम) और एरिक्सन इंडिया प्रा. लि. के बीच भुगतान विवाद मामले में हुये समझौते को आज मंजूरी दे दी। न्यायालय ने अनिल अंबानी की कंपनी आरकॉम से कहा है कि वह 30 सितंबर तक एरिक्सन इंडिया को 550 करोड़ रुपये का भुगतान करे। एरिक्सन इंडिया प्रा. लि. ने आरकॉम के साथ 2014 में सात साल के लिये उसके देशव्यापी दूरसंचार नेटवर्क को चलाने और व्यवस्थित करने का समझौता किया था। कंपनी ने कहा कि उसे आरकॉम से उसका बकाया प्राप्त नहीं हुआ है।
न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की पीठ ने 30 मई के राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के अंतरिम आदेश पढ़कर सुनाया और इस बात पर गौर किया कि एरिक्सन इंडिया 1,500 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज को 550 करोड़ रुपये में निपटाने की इच्छुक है और यह राशि आरकॉम द्वारा 120 दिन के भीतर चुकाई जानी थी। एनसीएलएटी ने आरकॉम द्वारा एरिक्सन को 550 करोड़ रुपये का भुगतान करने पर सहमति जताने के बाद 30 मई को उसके खिलाफ दिवाला प्रक्रिया को रोक दिया था।
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘समयसीमा का कड़ाई के साथ पालन किया जाना चाहिये और 550 करोड़ रुपये का भुगतान 30 सितंबर 2018 को अथवा इससे पहले किया जाना चाहिये।’’ पीठ ने आरकॉम के चेयरमैन से इस बारे में एक सप्ताह के भीतर हलफनामा देने को कहा है। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में इसका भी उल्लेख किया है कि संयुक्त कर्जदाता मंच और एरिक्सन इंडिया प्रा. लि. की ओर से पेश अधिवक्ताओं ने इस पर सहमति जताई है। न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई एक अक्तूबर को रखते हुये कहा, ‘‘यह कहने की आवश्यकता नहीं कि संबंधित परिसंपत्तियों की बिक्री उसकी के अनुरूप आगे बढ़ेगी जैसा कि न्यायाधिकरण और अपीलीय न्यायाधिकरण के आदेश में कहा गया है।’’
एनसीएलएटी ने अपने 30 मई के आदेश में आरकॉम को उसके दूरसंचार टावर, स्पेक्ट्रम और फाइबर परिसंपत्तियों की बिक्री रिलायंस जियो को करने का रास्ता साफ कर दिया था। रिलायंस जियो आरकॉम के इस कारोबार को 18,000 करोड़ रुपये में खरीद रही है और 7,000 करोड़ रुपये की स्पेक्ट्रम देनदारी भी अपने ऊपर लेगी। इस सौदे से आरकॉम का कर्ज घटने की उम्मीद है। कंपनी पर 45,000 करोड़ रुपये का कर्ज है।