मुंबई। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने विजय माल्या को जानबूझकर कर्ज न चुकाने वाला यानी ‘विलफुल डिफॉल्टर’ घोषित किया है। माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस बैंक का करीब 7,000 करोड़ रुपए का कर्ज नहीं चुका पाई है। यह विमानन कंपनी लंबे समय से ठप है। सूत्रों ने बताया कि एसबीआई ने माल्या, किंगफिशर एयरलाइंस और उसकी होल्डिंग कंपनी यूनाइटेड ब्रेवरीज को ‘विलफुल डिफॉल्टर’ घोषित किया है।
लंबी लड़ाई के बाद बैंक ने किया ‘विलफुल डिफॉल्टर‘ घोषित
सूत्रों के मुताबिक बंबई हाई कोर्ट ने इस साल अगस्त में माल्या को अपने कानूनी वकीलों के जरिए प्रतिनिधित्व की अनुमति दी थी। उसके बाद एसबीआई ने हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इसमें कहा गया है कि हाई कोर्ट का आदेश शिकायत निपटान समिति पर रिजर्व बैंक के नियमों का उल्लंघन है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था। कोर्ट ने एसबीआई से कहा था कि वे इसे एक अपवाद मानते हुए माल्या को समिति के समक्ष अपने वकीलों के जरिये बात रखने का मौका दें। हालांकि, माल्या के वकील इस डिफॉल्ट के बारे में माल्या का पक्ष संतोषजनक तरीके से नहीं रख पाए। इसके बाद एसबीआई ने उन्हें विलफुल डिफॉल्टर घोषित कर दिया है।
कंपनी पर बैंकों का 7,000 करोड़ रुपए का कर्ज
बैंकिंग एक्सपर्ट का कहना है कि माल्या इसे सुप्रीम कोर्ट में रिव्यु पिटिशन के जरिए चुनौती दे सकते हैं। इस बीच, ऐसे घटनाक्रम के बीच एयरलाइंस को कर्ज देने वाले 17 बैंकों ने कहा है कि वे ठप एयरलाइंस की परिसंपत्तियों की नीलामी करेंगे। जिससे 7,000 करोड़ रुपए के कर्ज और मूल पर ब्याज के कुछ हिस्से की वसूली हो सके। जनवरी, 2013 से कंपनी ने बैंकों के कर्ज को नहीं चुकाया है। शराब कारोबारी माल्या ने एसबीआई की अगुवाई में 17 बैंकों के गठजोड़ से 2010 के शुरू में 6,900 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। इससे पहले कर्जदाता इस एयरलाइन पर बकाए का दो बार पुनर्गठन कर चुके थे। एसबीआई ने एयरलाइंस से 1,600 करोड़ रुपए की वसूली करनी है।