मुंबई। रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन के जाने का एक संस्थान के तौर पर रिजर्व बैंक पर कोई प्रभाव नहीं होगा। उनके निर्णय को लेकर जो भी चर्चा है, वह पूरी तरह अटकलबाजी और निरर्थक है। भारतीय स्टेट बैंक की आर्थिक शोध इकाई ने यह बात कही है। एसबीआई रिसर्च ने एक नोट में कहा, हमारा मानना है कि कोई भी संस्थान किसी व्यक्ति विशेष के मुकाबले ज्यादा महत्वपूर्ण है और अंतत: संस्थान की विश्वसनीयता तथा स्वतंत्रता मायने रखती है, कुछ और नहीं। जो भी चर्चा हो रही है, वह पूरी तरह अटकलबाजी तथा निरर्थक है। रिपोर्ट में आरबीआई को अत्यंत दूरदृष्टि रखने वाला, व्यवहारिक तथा स्वतंत्र संगठन बताया गया है।
आज जारी इस रिपोर्ट के अनुसार यह कहना गलत है कि रिजर्व बैंक का मुद्रास्फीति के खिलाफ अभियान राजन की अगुवाई में ही शुरू हुआ, वास्तव में केंद्रीय बैंक 1983 से मुद्रास्फीति का दुश्मन रहा है। इसमें यह भी कहा गया है कि दीर्घकालीन मुद्रास्फीति के लक्ष्य को रिजर्व बैंक के 4.0 प्रतिशत के स्तर से बढ़ाकर 5.0 प्रतिशत करने की जरूरत है।
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