नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने बासेल-3 नियमों के अनुरूप बांड जारी कर 7,000 करोड़ रुपए जुटाए हैं। शेयर बाजार को दी जानकारी में बैंक ने कहा कि पूंजी जुटाने पर बनी निदेशकों की एक समिति ने 21 सितंबर, 2020 की बैठक में 70,000 बासेल-3 बांड आवंटित करने की अनुमति दी है।
इन गैर-परिवर्तनीय, विमोच्य, डिबेंचर की प्रकृति के बांड के जरिये 7,000 करोड़ रुपए जुटाए गए। इन बांड का आवंटन 21 सितंबर को हो गया। बैंक ने कहा कि 10 लाख रुपए अंकित मूल्य (प्रत्येक) के इन बांड पर 10 साल तक सालाना 6.24 प्रतिशत की कूपन दर का देय होगी।
एचडीएफसी बैंक ने खारिज किए अमेरिकी कानूनी फर्म के आरोप
निजी क्षेत्र के देश के सबसे बड़े बैंक एचडीएफसी बैंक ने एक अमेरिकी कानूनी फर्म द्वारा उसके खिलाफ दायर एक मुकद्दमें में लगाए गए आरोपों को भ्रामक बताते हुए खारिज कर दिया। फर्म ने बैंक के खिलाफ दायर मुकद्दमे में हर्जाने की मांग की है। बैंक ने कहा कि वह मामले में अपना बचाव जोरदार तरीके से करेगी। इसका जवाब अगले साल की शुरुआत तक तैयार हो जाएगा।
अमेरिकी विधि फर्म रोसेन लीगल ने पिछले हफ्ते बैंक के खिलाफ कानूनी मुकद्दमा दायर कर अपने मुवक्किल निवेशकों के नुकसान की भरपाई की मांग की है। फर्म का आरोप है कि बैंक ने कथित तौर पर गलत और भ्रामक जानकारियां दी जिससे निवेशकों को नुकसान हुआ। फर्म ने अपने वाद में बैंक के 25 साल से भी ज्यादा समय से मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक आदित्य पुरी, उनके उत्तराधिकारी शशिधर जगदीशन और कंपनी सचिव संतोष हलदंकर को नामजद किया है।
बैंक ने शेयर बाजार को दी जानकारी में कहा किए उसके एकल छोटी सी प्रतिभूति धारक इकाई ने यह मामला दर्ज की किया है। यह इकाई बैंक की प्रतिभूति धारकों के एक समूह का प्रतिनिधित्व करती है। यह मुकद्दमा जुलाई में बैंक की अमेरिकन डिपॉजिटरी रिसीट (एडीआर) में अस्थायी गिरावट आने के मामले में दायर किया गया है। बैंक ने शेयर बाजार को भेजी सूचना में कहा है कि वह इन आरोपों को दरकिनार करते हुए खुद का जोरदार तरीके से बचाव करेगा। इस शिकायत में हालांकि नुकसान की वास्तविक राशि के बारे में कोई जिक्र नहीं है। इसमें कहा गया है कि बैंक की वजह से उसके हजारों निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ा हो सकता है।