मुंबई। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की चेयरपर्सन अरूंधत्ती भट्टाचार्य ने संकेत दिया कि उसके पांच एसोसिएट बैंक और भारतीय महिला बैंक (बीएमबी) का विलय अगले वित्त वर्ष खिसक सकता है। क्योंकि उसे अभी भी इस संबंध में सरकार की अधिसूचना का इंतजार है।
भट्टाचार्य ने कहा, संभवत: एक तिमाही या उसके आसपास विलय में देरी हो सकती है। इसका कारण यह है कि हमें अभी सरकार से मंजूरी नहीं मिली है और अगर हमें अभी मंजूरी मिलती भी है तो भी अंतिम तिमाही में विलय बहुत बुद्धिमानीभरा नहीं होगा क्योंकि आईटी प्रणाली में काफी कुछ बदलाव की जरूरत होगी।
- प्रस्तावित विलय से एसबीआई एक वैश्विक आकार का बैंक बन जाएगा और दुनिया के शीर्ष 50 बैंकों में शामिल होगा।
- उसके पास 22,500 शाखाएं, 58,000 एटीएम और 50 करोड़ से अधिक ग्राहकों के साथ 37,000 अरब रुपए (555 अरब डॉलर) से अधिक की संपत्ति होगी।
अरूंधत्ती ने कहा कि सामान्य तौर पर बैंक आईटी प्रणाली में बदलाव मध्य फरवरी तक बंद कर देता है। कभी-कभी आईटी प्रणाली बिल्कुल अनभिग्य चीजों पर प्रभाव डाल सकती है। इसीलिए हम वार्षिक खाताबंदी के वक्त कोई जोखिम नहीं लेते। इसीलिए हम वार्षिक खाताबंदी के बाद उस पर गौर करना चाहेंगे।
- पहले सरकार से मंजूरी मिलने दीजिए, उसके बाद ही हमें पता चलेगा।
- एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सरकार को विलय योजना को अधिसूचित करना है।
- पहले यह कहा गया था कि विलय प्रक्रिया मार्च 2017 तक पूरी हो जाएगी।
एसबीआई के तीन सूचीबद्ध एसोसिएट बैंक, स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर (एसबीबीजे), स्टेट बैंक ऑफ मैसूर (एसबीएम), स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर और दो गैर-सूचीबद्ध बैंक स्टेट बैंक ऑफ पटियाला तथा स्टेट बैंक आफ हैदराबाद हैं।