नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने बड़ा फैसला लिया है। इस फैसले से लाखों लोगों को फायदा होने की उम्मीद है। दरअसल देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई की सब्सिडियरी एसबीआई पेमेंट्स ने देश में व्यापारिक भुगतानों के डिजिटलीकरण के विस्तार में एसबीआई योने मर्चेंट ऐप लॉन्च कर दिया है। मोबाइल की अगुवाई वाली प्रौघोगिकी के माध्यम से डिजिटल भुगतानों को स्वीकार करने के लिए लाखों व्यापारियों को सक्षम करने का लक्ष्य रखते हुए यह कदम उठाया है। एसबीआई ने अगले 2 वर्षों में पूरे भारत में रिटेल और एंटरप्राइजेज सेगमेंट में 2 करोड़ संभावित व्यापारियों को लक्षित करते हुए कम लागत वाले इस भुगतान स्वीकृति बुनियादी ढांचे को तैनात करने की योजना बनाई है।
एसबीआई ने हाल में देश के कम पहुंच वाले क्षेत्रों में पॉइंट ऑफ सेल बुनियादी ढांचे के तैनाती को प्रोत्साहित करने वाले पेमेंट्स इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड बनाने की घोषणा की थी। नई लॉन्चिंग इस घोषणा के अनुरुप एक कदम है। व्यापारी अब अपने एनएपसी सक्षम एंड्रॉइड स्मार्टफोन को एक सरल ऐप के माध्यम से भुगतान स्वीकृति उपकरणों में बदल पाएंगे।
एसबीआई का आवास ऋण कारोबार 5 लाख करोड़ रुपए के पार
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का आवास ऋण कारोबार 5 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है। एसबीआई ने हाल ही में इसकी जानकारी दी थी। बैंक की रीयल एस्टेट और आवास कारोबार इकाई में पिछले 10 साल में पांच गुना वृद्धि हुई है। इकाई की प्रबंधन अधीन परिसंपत्ति 2011 में 89,000 करोड़ रुपये थी जो 2021 में बढ़कर 5 लाख करोड़ रुपये पहुंच गयी। इसपर एसबीबआई के चेयरमैन दिनेश खारा ने कहा था, ‘‘यह उपलब्धि बैंक के प्रति ग्राहक के भरोसे को अभिव्यक्त करती है। हमारा मानना है कि मौजूदा हालात में प्रौद्योगिकी के साथ व्यक्ति के हिसाब से सेवाएं महत्वपूर्ण हैं।’’
उन्होंने कहा था कि बैंक आवास ऋण डिलिवरी को और बेहतर बनाने के लिये विभिन्न डिजिटल पहल पर काम कर रहा है। इसमें एकीकृत मंच खुदरा कर्ज प्रबंधन प्रणाली (आरएलएमएस) शामिल है। यह व्यवस्था हर प्रकार के डिजिटल समाधान उपलब्ध कराएगी। बैंक ने वित्त वर्ष 2023-24 में सात लाख करोड़ की प्रबंधन अधीन परिसंपत्ति प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है। बैंक ने आवास ऋण कारोबार में 2004 में कदम रखा था। उस समय कुल पोर्टफोलियो 17,000 करोड़ रुपये था। अलग से रीयल एस्टेट और आवास कारोबार एक लाख करोड़ रुपये के पोर्टफोलियो के साथ 2012 में अस्तित्व में आया।