नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मंगलवार को कहा कि भारतीय स्टेट बैंक (SBI), आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) और एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) को डोमेस्टिक सिस्टेमिकली इम्पोर्टेंट बैंक्स (D-SIBs) के रूप में निरंतर बरकरार हैं। इन बैंकों के बारे में सामान्य तौर पर कहा जाता है कि ये इतने बड़े बैंक है कि कभी डूब (too-big-to-fail) नहीं सकते। आरबीआई ने मंगलवार को D-SIBs की 2020 लिस्ट को जारी करते हुए यह बात कही।
आरबीआई ने D-SIBs की सबसे पहली लिस्ट 2015 में पेश की थी, जिसमें एसबीआई और आईसीआईसीआई बैंक को शामिल किया गया था। सितंबर, 2017 में एचडीएफसी बैंक के नाम को इस लिस्ट में शामिल किया गया। टू-बिग-टू-फेल (Too-big-to-fail) लिस्ट में शामिल ऐसे बैंक हैं, जिनके आकार और इंटरकनेक्शन के कारण उनके विफल होने का असर पूरे वित्तीय तंत्र पर पड़ सकता है। आरबीआई इस लिस्ट को हर साल जारी करता है।
ऐसे बैंकों को अतिरिक्त पूंजी आवश्यकता के नियमों का अनुपालन करना होता है। D-SIBs के लिए अतिरिक्त कॉमन एक्विटी टियर-1 रिक्वायरमेंट को 1 अप्रैल, 2016 से आंशिक रूप से लागू किया गया और यह 1 अप्रैल, 2019 से पूरी तरह से प्रभावी हो गया है। इसके मुताबिक, एसबीआई के लिए एडिशनल कॉमन इक्विटी टियर-1 रिक्वायरमेंट एक जोखिम वेटेड असेट (RWAs) के रूप में 0.6 प्रतिशत है, जबकि अन्य दो बैंकों के लिए यह 0.2 प्रतिशत है।
इस लिस्ट में शामिल होने वाले बैंकों पर RBI कड़ी नजर रखता है। इसका मकसद वित्तीय तंत्र को ढहने से बचाना है। केंद्रीय बैंक हर बैंक को सिस्टमेटिक इम्पोर्टेंट स्कोर (Systemic Importance Scores, SIC) देता है, जिसके आधार पर ऐसे बैंक को छांटा जाता है। केंद्रीय बैंक ने इस श्रेणी के बैंकों के लिए एक फ्रेमवर्क जुलाई 2014 में तैयार किया था। रिजर्व बैंक बड़े बैंकों को अपनी डोमेस्टिक सिस्टेमिकली इम्पोर्टेंट (D-SIB) श्रेणी में रखता है।
आरबीआई ने 31 मार्च, 2015 से 31 मार्च, 2016 के दौरान बैंकों से प्राप्त आंकड़ों और डी-एसआईबी फ्रेमवर्क में उपलब्ध मेथोडोलॉजी के आधार पर एसबीआई और आईसीआईसीआई बैंक को डी-एसआईबी के रूप में क्रमश: 31 अगस्त, 2015 और 25 अगस्त, 2016 को मान्यता प्रदान की। इसके बाद 31 मार्च, 2017 से 31 मार्च, 2018 के बीच बैंकों से एकत्रित आंकड़ों के आधार पर आरबीआई ने एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक को क्रमश: 4 सितंबर, 2017 और 14 मार्च, 2019 को डी-एसआईबी के रूप में मान्यता प्रदान की। वर्तमान अपडेट 31 मार्च, 2020 तक बैंकों से एकत्रित डाटा पर आधारित है।
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